*इस बार मैं अपने दशलक्षण जानना चाहता हूं* *प्रो डॉ अनेकान्त कुमार जैन, नई दिल्ली* drakjain2016@gmail.com 9/9/2021 दशलक्षण महापर्व आत्मानुसंधान का महापर्व है किंतु जाने अनजाने मैं इन महत्त्वपूर्ण दिनों को भी मात्र धार्मिक मनोरंजनों में व्यतीत कर देता हूँ । कई स्कूल दिखा कर बच्चों से ही पूछा जाय कि तुम्हारा प्रवेश किस स्कूल में करवाया जाए तो वह उस स्कूल का नाम बताता है जहाँ झूले और खिलौने ज्यादा थे और ज्यादा अच्छे थे । प्राइमरी कक्षा का कोई भी बच्चा पढ़ने के लिए स्कूल का चयन नहीं करता है । लेकिन हम बच्चे को स्कूल झूला झूलने और खिलौने खेलने के लिए नहीं भेजते हैं । हमारा उद्देश्य कुछ और होता है । खिलौने तो घर पर भी बहुत हैं और झूले तो पार्क में भी हैं। वैद्य जी चाशनी के साथ दवाई खाने को देते हैं , उनका उद्देश्य दवाई देना है न कि चाशनी चटाना । अब किसी का अभ्यास कड़वी दवाई खाने का नहीं है और उपचार के लिए वह दवा बहुत आवश्यक है तो मजबूरी में चाशनी साथ में देना पड़ती है ताकि कड़वापन सहन हो जाये । चाशनी दवा के प्रभाव को कम ही करती है किंतु और कोई उपाय भी तो नज़र नहीं आता अतः देनी ही पड़ती ह...