सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

मई, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जिनालय ही विद्यालय है

 जिनालय ही विद्यालय है और पूजा-स्वाध्याय मोक्ष की कक्षा    प्रो अनेकांत कुमार जैन जगत में लौकिक शिक्षा के लिए हम विद्यालय जाते हैं | मोक्षमार्ग की शिक्षा के लिए हमारे जिनालय ही विद्यालय हैं | जिनालय एक आध्यात्मिक प्रयोगशाला है | जहाँ समस्त भव्य जीव रत्नत्रय की साधना करते हैं और अपना मोक्षमार्ग प्रशस्त करते हैं |जिनालय में हम अरहन्त जिनेन्द्र भगवान् का दर्शन करते हैं | जिनागम में कई स्थलों पर  लिखा है कि जो विवेकी जीव भाव पूर्वक अरहन्त को नमस्कार करता है वह अति शीघ्र समस्त दुःखों से मुक्त हो जाता है-  ‘अरहंतणमोक्कारं भावेण य जो करेदि पयदमदी।                    सो सव्वदुक्खमोक्खं पावदि अचिरेण कालेण।। ’   (मू.आ./५०६   ) श्रावकों के छह कर्तव्य बतलाये गए हैं – देवपूजा,गुरु की उपासना,स्वाध्याय ,संयम ,तप और दान | इसमें भी रयणसार ग्रन्थ में आचार्य कुन्दकुन्द कहते हैं कि दान और पूजा मुख्य है | जो श्रावक दान नहीं करता और देव शास्त्र गुरु की पूजा नहीं करता वह श्रावक नहीं है -                        ‘दाणं पूजा मुक्खं सावयधम्मे ण सावया तेण विणा’  (गाथा ११ ) जैन पूजा पद्धति की सबसे

प्रो०डॉ अनेकांत कुमार जैन संक्षिप्त परिचय

संक्षिप्त परिचय प्रो०डॉ अनेकांत कुमार जैन शिक्षा -एम.ए.(जैन विद्या एवं तुलनात्मक धर्मदर्शन)    , जैनदर्शनाचार्य , पी-एच.डी , NET/JRF पिता - प्रो.डॉ.फूलचन्द जैन प्रेमी , वाराणसी,   माता - श्रीमती डॉ मुन्नीपुष्पा जैन,वाराणसी प्रकाशन – १.बारह ग्रंथों का लेखन और संपादन २.लगभग ७० शोधपत्र , राष्ट्रिय / अन्ताराष्ट्रिय शोध-पत्रिकाओं में हिन्दी , संस्कृत तथा अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित। ३.विभिन्न राष्ट्रिय समाचार पत्रों , पत्रिकाओं में धर्म-संस्कृ ति तथा समसामयिक विषयों पर शताधिक लेख ,कवितायेँ और कहानियां प्रकाशित। ४.प्राकृत भाषा की प्रथम पत्रिका ‘पागद-भासा’के मुख्य संपादक तथा अनेक पत्र पत्रिकाओं के संपादक मंडल के सदस्य    पुरस्कार / उपाधियाँ / सम्मान - १. महर्षि वादरायण व्यास युवा राष्ट्रपति पुरस्कार २.महावीर पुरस्कार ३. शास्त्रिपरिषद पुरस्कार ४.विद्वत्परिषद पुरस्कार ५.कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार ६. अर्हत्वचन पुरस्कार   ७.जैन सिद्धांत भास्कर ८.युवा वाचस्पति ९. अहिंसा इन्टरनेशनल अवार्ड १०.दिल्ली सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान   आदि अन्य योगदान -           १.द

मैं मतदान करता हूं , मतिदान नहीं - डॉ. अनेकांत जैन

मैं मतदान करता हूं , मतिदान नहीं          - डॉ. अनेकांत जैन मैं हमेशा उस प्रत्याशी को वोट देता हूं जो साफ छवि का हो , राष्ट्र भक्त हो ,अपेक्षाकृत ज्यादा ईमानदार हो, जिसका इरादा नेक हों। भले ही वह किसी भी जाति ,धर्म,पंथ,संप्रदाय,भाषा या क्षेत्र का हो । कभी कभी ऐसे प्रत्याशी हार भी जाते हैं , लेकिन मैं तब भी उन्हें ही वोट देता हूं । मुझे यह संतोष रहता है कि मैंने गलत का साथ नहीं दिया । और उस प्रत्याशी को भी इस बात की प्रसन्नता रहती है कि कुछ लोग तो हैं जो अच्छाई पसंद करते हैं । जमाना भले ही उसके खिलाफ हो । वोट उसे ही जिसकी नीयत साफ हो ।। सुधरे मतदाता , नेता मतदाता से ,राष्ट्र स्वयं सुधरेगा ।

नेता ईमानदार तभी मिलेगा जब मतदाता ईमानदार हो

हम सभी चाहते हैं कि एक ऐसा व्यक्ति भारत का प्रधान मंत्री होना चाहिए जो जन आंदोलनों से उभरा हो ,जिसने जनता का दर्द महसूस किया हो । जिसमें विदेशी कूटनीति की गहरी समझ हो । जो सिर्फ अच्छा प्रशासक ही न हो बल्कि एक सच्चा समाज सेवक भी हो । समाज में,राष्ट्र में किसी नए परिवर्तन का पुरोधा हो । जो राष्ट्र को मजबूती प्रदान करने की क्षमता रखता हो । जो धार्मिक हो , आध्यात्मिक हो किन्तु सांप्रदायिक न हो । जो जाति,भाषा,धर्म के नाम पर  देश को बंटने से रोके । जो सभी को समान दृष्टि से देखता हो । स्वयं चारित्र निष्ठ हो ।आत्मानुशासित हो , निरहंकार हो , सादगी और विनम्रता की मिसाल हो । दिल का अमीर हो ,न्यायप्रिय हो । ईमानदार हो और नीयत साफ हो । यह सब तभी संभव है जब मतदाता ईमानदार , समझदार , विवेकशील और देश भक्त हो । मतदाता अर्थात् राष्ट्र निर्माता । जमाना भले ही उसके खिलाफ हो , वोट उसे जिसकी नीयत साफ हो ।