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विद्यार्थियों को पत्र

प्रिय विद्यार्थियों  आज आप सभी का डिप्लोमा जैन विद्या का द्वितीय सत्र पूरा हो गया है । कॅरोना की विपरीत परिस्थितियों में भी हम सभी ने अध्ययन एवं अध्यापन किया । आप सभी ने परीक्षा में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है । जहां तक मुझे लगता है जिन्होंने भी परीक्षा दी है, उनमें सभी उच्च श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले हैं । कई विद्यार्थी हमेशा कहते हैं कि हम तो बस पढ़ने आये थे , डिग्री लेने नहीं ,इसलिए वे परीक्षा नहीं देते हैं। किन्तु मेरा अनुभव रहा है जिनका लक्ष्य परीक्षा या डिग्री नहीं रहता ,वे गंभीरता से पढ़ते भी नहीं हैं ।  आप सभी ने परीक्षा के दौरान यह अनुभव किया होगा कि जब तक सकारात्मक तनाव हमारे ऊपर नहीं रहता तब तक हम भी जोर नहीं लगाते हैं । परीक्षा के निमित्त से स्वाध्याय और अध्ययन और गहरा होता है । अपने ज्ञान पर खुद का विश्वास बढ़ता है ।  चलिए , अब एक बहुत बड़े भार से तो आप निर्भार हो गए । औपचारिकताओं के बाद डिप्लोमा भी आपको प्राप्त हो ही जायेगा ।  लेकिन अब अवसर है गुरु दक्षिणा का । पिछले एक डेढ़ वर्षों में हमने मिलकर हर संभव आप सभी को अपनी तरफ से यथा शक्ति , यथा मति जैन विद्या का वह अमूल्य तत्त्

दसधम्मसारो की pdf

दसलक्षण धर्म पर सरल प्राकृत गाथाएं एवं सरल और संक्षिप्त हिंदी व्याख्या के साथ अब *दसधम्मसारो* ग्रंथ की पीडीएफ जैन ई लाइब्रेरी में भी उपलब्ध है आप  निम्नलिखित लिंक पर जाकर डाउन लोड कर सकते हैं -  धन्यवाद https://jainelibrary.org/book-detail/?srno=035362