सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अप्रैल, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अयोध्या के दार्शनिक राजा ऋषभदेव

अयोध्या के दार्शनिक राजा ऋषभदेव प्रो.डॉ अनेकांत कुमार जैन आचार्य - जैन दर्शन विभाग ,दर्शन संकाय, श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय,नई दिल्ली -११००१६ drakjain2016@gmail.com देश में ऐसे दार्शनिक राजाओ की लंबी परम्परा रही है जिन्होंने राजपाट के बाद दीक्षा ली और आत्मकल्याण किया परंतु ऐसा विराट व्यक्तित्व दुर्लभ रहा है जो एक से अधिक परम्पराओं में समान रूप से मान्य व पूज्य रहा हो।अयोध्या में जन्में प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव उन दुर्लभ महापुरुषों में से एक हुए हैं। वैदिक परंपरा के भागवत पुराण में उन्हें विष्णु के चौबीस अवतारों में से एक माना गया है। उनके अनुसार वे आग्नीघ्र राजा नाभि के पुत्र थे। माता का नाम मरुदेवी था। दोनो परम्पराएँ उन्हें इक्ष्वाकुवंशी और कोसलराज मानती हैं। ऋषभदेव को जन्म से ही विलक्षण सामुद्रिक चिह्न थे। शैशवकाल से ही वे योग विद्या में प्रवीण होने लगे थे। जैन पुराणों के साथ साथ ही वैदिक पुराणों के अनुसार भी ऋषभदेव के पुत्र भरत के नाम पर देश का नाम भारत पडा। उल्लेखनीय तथ्य यह भी है के जैन परम्परा में भगवान ऋषभदेव की दार्शनिक,

लाडनूं के जैन मंदिर का कला वैभव

एक प्राचीन महत्त्वपूर्ण एवं दुर्लभ पुस्तक अब ऑनलाइन निःशुल्क उपलब्ध *लाडनूं के जैन मंदिर का कला वैभव*  लेखक - डॉ फूलचंद जैन प्रेमी,वाराणसी  https://epustakalay.com/book/256957-ladnoon-ke-jain-mandir-ka-kala-vaibhav/