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भक्तामर स्तोत्र और वेद

*भक्तामर स्तोत्र और वेद*  प्रो अनेकांत कुमार जैन , नई दिल्ली  drakjain2016@gmail.com  मेरी विभिन्न भारतीय धर्म दर्शन के विद्वानों से बातचीत होती रहती है । कई बार उनसे जैन धर्म दर्शन के बारे में भी ऐसी जानकारी मिल जाती है जिन्हें पहले पता नहीं होता है ।  इसी प्रकार एक वैदिक मित्र  ने मुझसे कहा कि मैं तंत्र आगम का जानकार हूँ और हमारे एक शास्त्र में लिखा है कि जैन आचार्य तंत्र मंत्र विद्या के बहुत बड़े जानकर थे । वे मंत्र विद्या से राजाओं को अपने वश में कर के अपने धर्म की रक्षा और उसका संवर्धन करते थे ।   बातों ही बातों में पता चला कि उन्हें जैनों का भक्तामर स्तोत्र बहुत पसंद है । उन्होंने कुछ छंद सुना भी दिए तो आनंद आया । फिर उन्होंने कहा कि कई छंद ऐसे हैं जिनका वैदिक मंत्रों से बहुत साम्य है । मुझे आश्चर्य हुआ । यह तथ्य मैं उन अनुसंधान करने वाले शोधार्थियों के लिए प्रेषित कर रहा हूं जो भक्तामर पर गहराई से अध्ययन कर रहे हैं -  मानतुंग आचार्य विरचित स्तोत्र का २३ वां छंद है - त्वामामनन्ति मुनयः परमं पुमांस। मादित्यवर्णममलं तमसः परस्तात् ॥ त्वामेव सम्यगुपलभ्य जयंति मृत्युं। नान्

भगवान महावीर और गुरुनानकदेव

भगवान  महावीर और गुरुनानक जी  प्रो अनेकांत कुमार जैन , नई दिल्ली  जैन श्रमण परंपरा के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव आदि योगी तथा इतिहास की दृष्टि से प्रागैतिहासिक माने जाते हैं । उनके अनंतर जैन श्रमण परम्परा में २३ और तीर्थंकर हुए जिन्होंने समय समय पर धर्म तीर्थ का प्रवर्तन किया तथा अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म ईसा पूर्व ५९९ में वैशाली में हुआ था तथा ७२ वर्ष की आयु में ईसा पूर्व ५२७ में उनका निर्वाण पावापुर से हुआ । उनके बाद उनके मार्ग पर चलने वाली उनकी आचार्य परंपरा आज तक हजारों की संख्या में भारत भूमि पर अध्यात्म साधना तपस्या और संयम की धारा प्रवाहित कर रहे हैं । सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव जी का जन्म सन् १४६९ ई० में जिला शेखू पुरा ( वर्तमान का पश्चिमी पाकिस्तान ) में तलवंडी नामक गांव में हुआ था । यह स्थान आज ननकाना नाम से प्रसिद्ध है । डॉ हरिराम गुप्ता ने उनके जीवन काल को मुख्य रूप से तीन भागों में विभाजित किया है - १.  १४६९- १४९६ ( २७ वर्ष ) - गृहस्थ / आत्मबोध  ज्ञान काल । २. १४९७-१५२१ ( २५ वर्ष )- पर्यटन और दूसरे धर्मों का अध्ययन ,(स्व विचार व्याख्या काल) । ३. १५२२ - १५३९ (१८

मोदी जी हारे नहीं है, मोदी हारा नहीं करते

मोदी जी हारे नहीं है, मोदी हारा नहीं करते डॉ अनेकांत कुमार जैन ,नई दिल्ली drakjain2016@gmail.com दिल्ली के चुनाव में केजरीवाल जी ने नहीं भाजपा ने मोदी को हराया है अन्यथा मोदी कभी हारा नहीं करते । एक छोटे से राज्य के चुनाव में बिना वजह केजरीवाल जी के सामने मात्र मोदी जी को प्रस्तुत करना यह भाजपा की सबसे बड़ी भूल थी ।  भाजपा को यह बात समझनी पड़ेगी  कि वे मुख्यमंत्री के रूप में पिछले पांच सालों में दिल्ली भाजपा से एक भी चेहरा सामने नहीं ला पाए । मोदी जी अकेले क्या क्या करेंगे ? आगे भी सफर बहुत तय करना है । शाहीन बाग दिल्ली के चुनाव का मुद्दा नहीं था वह राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा है उसे जबरदस्ती दिल्ली के चुनाव का मुद्दा बनाना बहुत बड़ी भूल थी ।  राज्यों के चुनाव मूलभूत समस्याओं को लेकर लड़े जाते हैं भारतीय जनता पार्टी ने उसमें से एक भी समस्या को सलीके से सामने नहीं रखा। टीवी चैनलों पर भाजपा के प्रवक्ता जिस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहे थे पूरी दिल्ली को उनकी भाषा उनके आक्रामक तरीके से  लोगों को सारी बात समझ में आ रही थी ।  भाजपा ने अपनी पूरी शक्ति बिना वजह लगाई । भाजपा ने बिना वजह इस चुनाव क