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फ़रवरी, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

प्रिय मित्र ( स्व.)डॉ संजीव गोधा के नाम एक पत्र

प्रिय संजीव  सब कुछ क्रम नियमित है  आयु निश्चित है  राजा राणा क्षत्रपति हाथन के असवार  मरना सबको एक दिन अपनी अपनी बार  आदि आदि  ये सब मुझे पता है ,इन्हें मैं भी सबसे बड़ा सत्य मानता हूँ । फिर भी.....कुछ चीजें मुझे स्वीकार नहीं हो रहीं हैं  जैसे   तुम्हारा इस तरह जाना । तुम्हारी शोक सभाएं सुन रहा हूँ , मुझे ये भी स्वीकार नहीं हो रहीं हैं ।  कई बार सोचा कि तुम्हारी याद में मैं भी कुछ कहूँ ,वीडियो बनाऊं ...पर ये हो न सका ।  तुम्हारा जाना मुझे मंजूर ही नहीं है ।  इसीलिए तुम्हारी किसी भी शोकसभा में उपस्थित न हो सका ,कुछ कह न सका ।  लोग तुम्हारी और टोडरमल जी की आयु एक जैसी बताकर तुलना कर रहे हैं ,मुझे ये भी स्वीकार नहीं है ।  टोडरमल जी मरे नहीं थे ,उन्हें मरवाया गया था ।  तुम्हारे यू ट्यूब पर हजारों प्रवचन , ऑनलाइन कक्षाएं , तुम्हारा देश दुनिया में अथक लगातार प्रचार ,अब मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते ,क्यों कि तुम नहीं हो ।  तुम इतना ज्यादा ऑनलाइन क्यों रहे कि अब ऑफलाइन भी नहीं हो ?  क्या चला जाता यदि तुम थोड़ा कम यात्रा और प्रचार करते ? क्या घट जाता यदि तुम थोड़े कम प्रवच

ढोर गंवार शूद्र पशु नारी सकल मुक्ति के अधिकारी

*ढोर गंवार शूद्र पशु नारी सकल मुक्ति के अधिकारी* प्रो अनेकान्त https://youtu.be/aLlW5mx3TEk

प्राचीन जैन तीर्थ किन्द्रह की खोज

मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पथरिया के पास एक छोटा सा गांव है किन्द्रह (स्थानीय बुंदेली में बोला जाने वाला किनरौ ) पिताजी (प्रो फूलचंद जैन प्रेमी जी ) माता जी (डॉ मुन्नी पुष्पा जैन) लगभग 40 वर्ष पहले अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ इस गाँव में आए थे ,सो उन्हें अभी विरागोदय तीर्थ ,पथरिया की वंदना के समय इसकी याद आ गई । पिताजी को यह भी याद आया कि यहाँ एक प्राचीन जैन मंदिर था औ र एक तालाब था । तालाब में नहाते वक्त 40  वर्ष पहले उन्हें जैन मूर्तियों के अवशेष मिले थे ।  उनकी बड़ी गहरी और आत्मीय जिज्ञासा थी इस गाँव में पुनः जाने की और उस तालाब को और पुरातत्व को देखने की ।  12 फरवरी 2023 को सुबह सुबह  हमने एक ऑटो रिक्शा किया और माता पिता एवं श्रीमती सीमा जैन (महिला बाल विकास अधिकारी,पथरिया) के साथ वहाँ पहुंच गए , 40 वर्ष पहले की याद करते वे यहाँ इतनी आत्मीयता से घूमे जैसे कोई पूर्व जन्म का स्मरण कर अपने पुराने गाँव जा कर करता है ।  पता चला अब यहाँ वह जैन मंदिर नहीं है । जैन समाज भी अब यहाँ नहीं रहती । इनके रिश्तेदार भी अब यहाँ

ताड़न के अधिकारी..........

ताड़न के अधिकारी.......... का एक समकालीन अर्थ यह भी किया जा सकता है कि अब उन्हें भी ताड़न करने का अधिकार है ।  #womenempowement  #animalrights  #dalitshakti  #ramcharitmanas #नारीशक्ती  यह अर्थ करने के बाद अब इन पंक्तियों को हटाने की मांग को न सिर्फ वापस ले लिया जाएगा बल्कि इसे मुख्य पृष्ठ पर प्रकाशित करने की मांग की जाएगी ।  प्रो अनेकान्त