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प्राकृत नूतनवर्षाभिनंदनं

सादर प्रकाशनार्थ *पागद- णूयणवस्साहिणंदणं* (प्राकृत- नूतनवर्षाभिनंदनम्) प्रो.अनेकान्त जैन, नई दिल्ली पंचत्थिकायलोये ,संदंसणं सिक्खदि समयसारो। णाणं पवयणसारो ,चारित्तं खलु णियमसारो ।।1।। 'पंचास्तिकाय' स्वरूपी इस जगत में 'समयसार' सम्यग्दर्शन सिखाते है,'प्रवचनसार' सम्यग्ज्ञान और 'नियमसार' सम्यग्चारित्र सिखाते हैं ।।1।। सिरिकुण्डकुण्डप्पं य , अट्ठपाहुडो य सिक्खदि तिरयणा। रयणसारो य धम्मं ,भावं बारसाणुवेक्खा।।2।। आचार्य कुन्दकुन्द आत्मा सिखाते हैं,'अष्टपाहुड' रत्नत्रय सिखाते हैं , 'रयणसार' धर्म  और 'बारसाणुवेक्खा' भावना सिखाते हैं ।।2।। सज्झायमवि सुधम्मो, पढउ कुण्डकुण्डमवि णववस्सम्मि। करिदूण दसभत्तिं य,अणुभवदु संसारम्मि सग्गसुहं।।3।। स्वाध्याय भी सम्यक धर्म है ,अतः नव वर्ष में आचार्य कुन्दकुन्द को भी अवश्य पढ़ें और उनके द्वारा रचित 'दशभक्ति' करके संसार में ही स्वर्ग सुख का अनुभव करें । पासामि उसवेलाए , संणाणसुज्जजुत्तो णववस्सं । होहिइ पाइयवस्सं, आगमणवसुज्जं उदिस्सइ ।।4।। मैं उषा बेला में सम्यग्ज्ञान रूपी सूर्य से युक्त नववर्ष को दे

दर्शन एवं जैनागम के गूढवेत्ता थे प्रो सागरमल जैन

दर्शन एवं जैनागम  के गूढवेत्ता थे प्रो सागरमल जी प्रो अनेकान्त कुमार जैन,नई दिल्ली  दिनांक 2 दिसंबर को दर्शन एवं जैनागम के गूढवेत्ता 90 वर्षीय प्रो सागरमल जैन जी ने संथारा पूर्वक लोकोत्तर प्रयाण कर लिया ।  इनके साथ इस लोक से जैन आगमों विशेषकर अर्धमागधी आगमों के एक कर्मठ और गूढ़ दार्शनिक वरिष्ठ मनीषी का एक विशाल युग समाप्त हो गया । मुझे उनका सान्निध्य बाल्यकाल से ही प्राप्त रहा जब वे बनारस में पार्श्वनाथ विद्याश्रम के निदेशक के रूप में थे । मुझे उनकी गोदी में खेलने का सौभाग्य प्राप्त है । 1980 से आज तक जब से मैंने उन्हें देखा जाना उनका एक सा व्यक्तित्त्व मेरे दिलो दिमाग में बसा रहा । आकर्षक व्यक्तित्त्व, मुस्कुराता चेहरा,गौर वर्ण, श्वेत कुर्ता पैजामा और पैरों में हवाई चप्पल । मैंने आज तक इसके अलावा उन्हें किन्हीं अन्य परिधान में देखा ही नहीं । मेरे पिताजी (प्रो डॉ फूलचंद जैन जी ) तथा मां (डॉ मुन्नीपुष्पा जैन ) से अत्यधिक वात्सल्य भाव होने से वे अक्सर अपनी धर्म पत्नी के साथ बनारस में रवींद्रपुरी स्थित हमारे आवास पर आते थे और पिताजी के साथ घंटों दार्शनिक चर्चाएं करते थे । उनके पास एक अलग र