सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

दिसंबर, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

स्त्री सशक्तिकरण के मायने

*स्त्री सशक्तिकरण के असली मायने* प्रो अनेकांत कुमार जैन,नई दिल्ली  पल्लू-घूंघट- चुन्नी नहीं ओढ़ने पर आपको टोकने वाले कौन लोग हैं ? इसी तरह अमर्यादित खुले वस्त्र जिनसे आपके अंग प्रत्यंग उभरकर सामने आते हैं - नहीं पहनने के लिए कहने वाले आपके वे अपने ही हैं ,जो आपके हितैषी हैं ,दूसरों का क्या है ? वे तो चाहते ही हैं कि छद्म आधुनिकता के नाम पर आप कम से कम वस्त्रों में ही घूमें ,ताकि उन्हें सबकुछ देखने को मिले ।  हमें अपने बाधक ,पिछड़े और बुरे लगते हैं और पराये आधुनिक ,विकसित और सम्मोहक लगते हैं । हमें बचाने वाले अब खटकने लगे हैं और लूटने वाले भाने लगे हैं ।  आज जब स्त्री स्वतंत्र हुई है तो उसका निर्लज्ज वस्त्र विन्यास,अश्लील फेसबुक रील,उच्छृंखल आचरण और स्वच्छंद ,असंयमित बात व्यवहार देखकर समझ आता है कि पुराना समाज इन्हें क्यों घरों में पर्दे में रखने का पक्षधर था ? समाज इन दिनों भयंकर रूप से खोखलेपन के साथ खुलेपन का शिकार है ।  आश्चर्य यह है कि इसे आधुनिकता और विकास वाद समझा और कहा जा रहा है ।  स्कूलों ने भी कन्याओं के चुन्नी आदि अंग वस्त्र अपने ड्रेस कोड से हटा लिए हैं ।समाज में

संस्कृत पढ़ी पुलिस के संस्कार

संस्कृत पढ़ी पुलिस के संस्कार  अभी हावड़ा में RPF की एक बंगाली युवा महिला पुलिस मिठू को जब यह पता चलता है कि मैं लाल बहादुर संस्कृत विद्यापीठ , दिल्ली में पढ़ाता हूँ तो वह श्रद्धा से स्वयं मेरा सूटकेस उठा लेती है ,और ट्रेन लेट होने के कारण पुलिस बूथ पर एक कुर्सी लगा कर बैठाती है ,थोड़ी देर में स्वयं एक गर्म चाय लेकर देती है , पहले से न कोई जान न पहचान ,,,,,,,,,,,,पूछने पर बोली गुरु जी मैं सीताराम वैदिक आदर्श संस्कृत महाविद्यालय ,कोलकाता की छात्रा रही हूँ । मैंने बौद्ध दर्शन से आचार्य किया है ,मेरे गुरु जी ने बताया कि आप जैनदर्शन पढ़ाते हैं ,आप भी मेरे गुरु जी ही हुए न !  फिर गाडी का समय होने पर मुझे ससम्मान A1 कोच तक सामान सहित बैटरी रिक्शे से भिजवाया ।बहुत विनम्र और मृदुभासी उस सांवली बंगाली कांस्टेबल ने कहा गुरु जी मैं जैनदर्शन जानना चाहती हूँ किन्तु अब नौकरी के कारण  पढ़ने का समय नहीं मिलता ।मैंने उसे अपनी एक किताब देकर गौरव का अनुभव किया और सोचने लगा कि संस्कृत पढ़कर पुलिस बनने पर पुलिस भी संस्कारी और सेवा भावी कितनी आसानी से बन सकती है । अन्य सभी महिला पुलिस की अपेक्षा वह अपने अधिक सहयोग