धर्म की रक्षा करना हम सभी का कर्त्तव्य है । किंतु उसके लिए यदि अधर्म का आश्रय लिया जाता है तो फिर हम रक्षा किसकी कर रहे हैं ?
आज भी ऐसे भले ही लोग अधर्म से थोड़ा बहुत डरते भी हों किन्तु धर्म की रक्षा के लिए अधर्म और अनीति का आश्रय बड़े उत्साह से लेते हैं मानो बहुत बड़ा पुण्य कर रहे हों ।
इतिहास गवाह है संसार में सबसे ज्यादा हिंसा और अधर्म धर्म की रक्षा के नाम पर ही हुआ है और आज भी हो रहा है ।
डॉ अनेकान्त जैन
10/08/2021
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