जब एक बंगाली ने अपनाया शाकाहार - -- - - डॉ०अनेकांत कुमार जैन ,नई दिल्ली ,२०/१२/२०१८ आज गोमटेश बाहुबली के दर्शनार्थ सीढ़ी चढ़ रहा था ,एक सज्जन माथे पर तिलक लगाए ,अपनी धर्म पत्नी के साथ उतर रहे थे । उन्होंने पूछा आप कहां से ? दिल्ली से - मैंने जबाव दिया । अकेले या फैमिली के साथ ? अकेले । क्यों ? किसी काम से बैंगलोर तक आना हुआ तो सोचा दर्शन भी कर लूं । मैंने पूछा - आप कहां से ? बोले - पश्चिम बंगाल से । और आज मैंने अभिषेक भी किया । उनकी पत्नी बोली - हमने मना किया किन्तु वहां एक पुजारी बोला , यहां तक आए हो तो अभिषेक तो जरूर करो ,इसलिए किया । मैंने पूछा - आपने मना क्यों किया ? क्यों कि हम लोग जैन नहीं हैं । वो बोला कुछ नहीं होता , आप अपना नाम गोत्र बोलो और धोती पहन कर आओ बस । फिर हमने अभिषेक किया , बहुत आनंद आया । मैंने कहा - अच्छा किया , बहुत सौभाग्य से ये अवसर मिलता है । मैंने सहज ही पूछा - आप मांसाहारी तो नहीं है ? हां - उनका उत्तर था । किसी ने इस बारे में आपसे कुछ नहीं पूछा ? नहीं । आप कितने साल के हैं ? मैं ६० , पत्नी ५६ मैंने सावधानी पूर्वक बहुत मनोवैज्ञानिक ...