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Review of Mohalla assi movie

द्विवेदी जी अस्सी का ऐतिहासिक अश्लील कवि सम्मेलन भी दिखा देते........ जी हां ये वही डॉ चंद्रप्रकाश द्विवेदी जी हैं जिन्होंने नब्बे के दशक में चाणक्य सीरियल बनाया था और खुद अभिन...

अन्तिम समय तक जीने की कला सिखाता है जैन धर्म –प्रो. अनेकांत

अन्तिम समय तक जीने की कला सिखाता है जैन धर्म   –प्रो.  अनेकांत इस वर्ष दीपोत्सव के ठीक पूर्व सीनियर सिटीजन कॉउन्सिल  ,  दिल्ली द्वारा कम्युनिटी सेंटर ,  ग्रीनपार्क एक्सटेंशन ,  नई दिल्ली में आध्यात्मिक सत्संग का आयोजन किया गया । जिसमें  * जैन धर्म के अनुसार जीवन जीने की कला*विषय पर प्रो अनेकांत कुमार जैन, आचार्य एवं अध्यक्ष –जैन दर्शन विभाग,श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ ,नई दिल्ली  ने सार गर्भित व्याख्यान करते हुए कहा कि प्रथम तीर्थंकर रिषभ देव से लेकर अंतिम तीर्थंकर भगवान् महावीर तक चौबीस तीर्थंकर हुए जिन्होंने संसार के सभी मनुष्यों को जीवन जीने की कला सिखलाई  |  उन्होंने सिखाया कि संसार में किस तरह रहना चाहिए ताकि मानव मात्र का कल्याण हो सके  | जीवों के कल्याण के लिए सबसे पहले भगवान् महावीर ने रिसर्च की कि मनुष्यों की कौन सी ऐसी कमियां हैं जो उसके विकास को रोक रहीं हैं तथा उसका जीवन बर्बाद कर रहीं हैं  |  अपनी इस रिसर्च में उन्होंने सात आदतें ऐसी पायीं जिनके कारण वह उसका जीवन बर्बाद हो रहा...

Prof Dr Anekant Kumar Jain : JAIN SCHOLAR : An Introduction and Contacts

PROF.DR. ANEKANT KUMAR JAIN (Awarded by President of India) Designation Professor and Head-Deptt.Of Jainphilosophy,Faculty of Philosophy Sri LalbahadurShastriRashtriya Sanskrit Vidyapeeth Deemed University Under Ministry Of HRD Qutab Institutional Area, New Delhi-110016 Qualification: M.A., Phd (Jainology& Comparative Religion & Philosophy) Acharya JRF From UGC   Teaching Experience:  17 years UG/PG classes and Research Guidance for three students              Publications   : 12 Books, 60 Research Articles In National And International Journals. More Then 150 Articles Published InMany National News Papers Like  (DainikJagran, Hindustan, Nbt, Ras.Sahara, Amarujala; Raj.Patrika, DainikTribune, Etc.) Many Poetry, Stories Published In Various Magazines,News Papers. Script Writing For Documentary Films. Editor – PAGAD BHASA  (The first News Paper in Prakr...

हे व्हाट्सएप्प देव

फील गुड की फीलिंग -कुमार अनेकान्त व्हाट्सएप्प पर आठ दस मैसेज इधर से उधर कर दो तो आज समाज सेवा और जीव दया,करुणा का कोटा पूरा होगया जैसी फीलिंग होती है और दिन अच्छे से गुजरता है ...

मिच्छामि दुक्कडं और ‘पर्युषण पर्व’ कहना गलत नहीं है’

सादर प्रकाशनार्थ ‘ मिच्छामि दुक्क डं’ और   ‘ पर्युषण पर्व ’  कहना गलत नहीं है’ प्रो.अनेकांत कुमार जैन अध्यक्ष-जैनदर्शन विभाग श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ नई दिल्ली -१६,  drakjain2016@gmail.com     वर्तमान में दिगंबर जैन समाज में व्यवहार में मूल प्राकृत आगमों के शब्दों के प्रायोगिक अभ्यास के अभाव कई प्रकार की भ्रांतियां  उत्पन्न हो रही हैं जिस पर गम्भीर चिन्तन मनन आवश्यक है |   मैं इस विषयक में कुछ स्पष्टीकरण देना चाहता हूँ - १. एक  भ्रान्ति  यह फैल रही है कि  ‘ मिच्छामि दुक्क डं’  शब्द श्वेताम्बर परंपरा से आया है |कारण यह है कि श्वेताम्बर श्रावकों में मूल प्राकृत के प्रतिक्रमण पाठ पढने का अभ्यास ज्यादा है | दिगंबर परंपरा में यह कार्य मात्र मुनियों तक सीमित है | दिगंबर श्रावक भगवान् की पूजा ज्यादा करते हैं ,कुछ श्रावक प्रतिक्रमण करते हैं तो हिंदी अनुवाद ही पढ़ते हैं ,मूल प्राकृत पाठ कम श्रावक पढ़ते हैं अतः  ‘ मिच्छामि दुक्क डं’  का प्रयोग श्वेताम्बर समाज में ज्यादा प्रचलन में आ गया जब...

हिंदी साहित्य आई सी यू में है

हिंदी साहित्य आई सी यू में है अपनी ही डायरी के पुराने पन्ने पलट के अपनी ही 20 -25 वर्ष पुरानी कविताएं पढ़ते हैं तो आश्चर्य होता है और सोचता हूँ इतनी गहरी संवेदना और अभिव्यक्ति कला...

लव जिहाद के दूसरे पहलू भी देखें

लव जिहाद के मुकाबले के लिए समाज में खुला माहौल भी बनाएं - प्रो.डॉ अनेकान्त कुमार जैन,नई दिल्ली drakjain2016@gmail.com वर्तमान में लव जिहाद से पीड़ित समाज बहुत सदमे में है । वास्तव में यह वर्तमान...