सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

हे व्हाट्सएप्प देव

फील गुड की फीलिंग

-कुमार अनेकान्त

व्हाट्सएप्प पर आठ दस मैसेज इधर से उधर कर दो तो आज समाज सेवा और जीव दया,करुणा का कोटा पूरा होगया जैसी फीलिंग होती है और दिन अच्छे से गुजरता है ।

मोदी जी के गुणगान में कुछ कांग्रेसियों को लपेट दो तो लगता है आज की राष्ट्रभक्ति का कोटा पूरा हुआ ।

कुछ माता पिता की सेवा से संबंधित शायरी या कोटेशन , कुछ धार्मिक फ़ोटो और प्रवचन fwd कर दो तो लगता है जैसे मंदिर हो आये हों

कुछ ज्ञान बघार दो और कुछ ज्ञान पढ़ लो तो लगता है आज की पढ़ाई का कोटा भी पूरा हुआ ।

कुछ प्राकृतिक चिकित्सा और आयुर्वेद के नुस्खे बिना जांच पड़ताल के आगे भेज दो तो परोपकार जैसे पुण्य का अनुभव होने लगता है ।

कुछ बुराइयों की जमकर बुराई लिख दो तो क्रांतिकारी होने की हसरत भी पूरी हो जाती है ।

हे व्हाट्सएप्प देव तुमने बिना कुछ किए सब कुछ करने जैसी अनुभूतियों से हमारे जीवन को भर दिया है
तुम्हें शत शत नमन 🙏

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

युवा पीढ़ी को धर्म से कैसे जोड़ा जाय ?

  युवा पीढ़ी को धर्म से कैसे जोड़ा जाय ?                                      प्रो अनेकांत कुमार जैन , नई दिल्ली    युवावस्था जीवन की स्वर्णिम अवस्था है , बाल सुलभ चपलता और वृद्धत्व की अक्षमता - इन दो तटों के बीच में युवावस्था वह प्रवाह है , जो कभी तूफ़ान की भांति और कभी सहजता   से बहता रहता है । इस अवस्था में चिन्तन के स्रोत खुल जाते हैं , विवेक जागृत हो जाता है और कर्मशक्ति निखार पा लेती है। जिस देश की तरुण पीढ़ी जितनी सक्षम होती है , वह देश उतना ही सक्षम बन जाता है। जो व्यक्ति या समाज जितना अधिक सक्षम होता है। उस पर उतनी ही अधिक जिम्मेदारियाँ आती हैं। जिम्मेदारियों का निर्वाह वही करता है जो दायित्वनिष्ठ होता है। समाज के भविष्य का समग्र दायित्व युवापीढ़ी पर आने वाला है इसलिए दायित्व - ...

द्रव्य कर्म और भावकर्म : वैज्ञानिक चिंतन- डॉ अनेकांत कुमार जैन

द्रव्य कर्म और भावकर्म : वैज्ञानिक चिंतन डॉ अनेकांत कुमार जैन जीवन की परिभाषा ‘ धर्म और कर्म ’ पर आधारित है |इसमें धर्म मनुष्य की मुक्ति का प्रतीक है और कर्म बंधन का । मनुष्य प्रवृत्ति करता है , कर्म में प्रवृत्त होता है , सुख-दुख का अनुभव करता है , और फिर कर्म से मुक्त होने के लिए धर्म का आचरण करता है , मुक्ति का मार्ग अपनाता है।सांसारिक जीवों का पुद्गलों के कर्म परमाणुओं से अनादिकाल से संबंध रहा है। पुद्गल के परमाणु शुभ-अशुभ रूप में उदयमें आकर जीव को सुख-दुख का अनुभव कराने में सहायक होते हैं। जिन राग द्वेषादि भावों से पुद्गल के परमाणु कर्म रूप बन आत्मा से संबद्ध होते हैं उन्हें भावकर्म और बंधने वाले परमाणुओं को द्रव्य कर्म कहा जाता है। कर्म शब्दके अनेक अर्थ             अंग्रेजी में प्रारब्ध अथवा भाग्य के लिए लक ( luck) और फैट शब्द प्रचलित है। शुभ अथवा सुखकारी भाग्य को गुडलक ( Goodluck) अथवा गुडफैट Good fate कहा जाता है , तथा ऐसे व्यक्ति को fateful या लकी ( luckey) और अशुभ अथवा दुखी व्यक्ति को अनलकी ( Unluckey) कहा जाता...

युवा पीढ़ी का धर्म से पलायन क्यों ? दोषी कौन ? युवा या समाज ? या फिर खुद धर्म ? पढ़ें ,सोचने को मजबूर करने वाला एक विचारोत्तेजक लेख ••••••••••••👇​

युवा पीढ़ी का धर्म से पलायन क्यों ? दोषी कौन ? युवा या समाज ? या फिर खुद धर्म ? पढ़ें ,सोचने को मजबूर करने वाला एक विचारोत्तेजक लेख ••••••••••••👇​Must read and write your view