काला अच्छा या गोरा ?
ये सब सापेक्षिक दृष्टिकोण है । कोई भी रंग शुभ या अशुभ नहीं होता है । काला रंग एनर्जी को समेटता है ,और सफेद रंग उसे रिफ्लेक्ट कर देता है । इसीलिए गर्मी में काला पहनने का निषेध है और वही सर्दी में अच्छा है । शुभ अशुभ यही है । काले रंग की एक और विशेषता बतलाई गई है कि ' चढ़े न दूजो रंग' उस पर कोई और रंग असर नहीं करता । वह अपना रंग नहीं बदलता ।
वहीं दूसरी तरफ जैन दर्शन में मन के भावों के अनुसार कृष्ण लेश्या सबसे ज्यादा हिंसक और अशुभ है और श्वेत लेश्या सबसे अधिक ध्यान योग युक्त शुभ है ।
एक प्रयोग कीजिये
आप अपने बेड रूम में सभी दीवारों और छतों पर काला रंग पुतवा लीजिये और शांति से सो कर बताइए । आपको पता लगेगा कि यह एक विज्ञान है ।
इसलिए बड़े बुजर्गों ने व्यवहार में काले को अशांति और सफेद को शांति का प्रतीक बनाया है ।
छल कपट और हिंसा से युक्त मन भी काला ही कहा जाता है ।
लेकिन बाल काले चमड़ी सफेद अच्छी मानी जाती है । इसके विपरीत सफेद बाल प्रौढ़ता के प्रतीक हैं । शरीर का काला या सांवला रंग भी स्वाभाविक और देश क्षेत्र काल के अनुसार होता है । इसे अच्छा बुरा भी मानना सापेक्षिक है ,शाश्वत नहीं ।
सौंदर्य शास्त्र में सुंदरता का मानदंड श्याम श्वेत कभी नहीं रहा ।
हमारा रंग भले ही काला हो पर मन काला नहीं होना चाहिए - यह लेश्या सिद्धांत का संदेश है ।
गोरी कन्या भी विपरीत आचरण से सबको काली लगने लगती है और सांवली कन्या भी अपने उच्च आचरण से सबको गोरी से ज्यादा महत्त्वपूर्ण और सम्मानित होती नजर आती हैं ।
अब पूरा निबंध ही लिखवा कर मानेंगे क्या कवि जी ?
?कवि सौरभ सुमन की एक पोस्ट पर व्यक्त प्रतिक्रिया )
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