बाह्य कारणों से किसी की समाधि या असमाधि का निर्धारण कठिन है । कोई ज्ञानी भयानक एक्सीडेंट होने पर भी यदि होश रहते अंतिम क्षणों में चारों प्रकार के आहार का त्याग करके ,सर्व परिग्रहों का त्याग करके ,आत्मध्यान पूर्वक देह छोड़ता है तो उसकी भी सल्लेखना या समाधि हो सकती है ।
जगत को वो अकाल मृत्यु ही दिखेगी ।समाधि नहीं ।
जगत को क्या दिखाना ? जगत के मानने या न मानने से अपनी संवर या निर्जरा नहीं होती ।
Ashok Jain की एक पोस्ट पर प्रतिक्रिया
29/1/24
टिप्पणियाँ