*विश्व पुस्तक मेले से नदारद जैन साहित्य* डॉ.अनेकांत कुमार जैन , नई दिल्ली दिल्ली के प्रगति मैदान में ४ जनवरी २०२० से शुरू हुए विश्व के सबसे बड़े मेले में मैं दिनांक ५ को गया । देश विदेश के बड़े बड़े साहित्यकार, लेखक, प्रकाशक, प्रोफेसर , विद्वान्,जिज्ञासु, शोधार्थी , विद्यार्थी और पुस्तक प्रेमी बड़ी संख्या में यहां दूर दूर से आते हैं । किसी भी धर्म दर्शन के लोग इस मौके को नहीं छोड़ते । हाल संख्या 12 A में विशेष रूप से धर्म ,दर्शन से संबंधित साहित्य के स्टाल थे । इस्लाम की तीन चार संस्थाओं के बड़े बड़े स्टाल लगे थे , उनके लगभग ६०-७० लोग इस्लाम साहित्य समझा समझा कर दे रहे थे । वे कह रहे थे कि यदि आप मुस्लिम नहीं हैं तो आपके लिए कुरआन निःशुल्क है । आर्य समाज के दस बीस भक्त जगह जगह चिल्ला चिल्ला कर १० - १० रुपए में सत्यार्थ प्रकाश बांट रहे थे । ईसाई धर्म की कई संस्थाएं बाइबिल को "पवित्र पुस्तक" नाम से बिल्कुल निःशुल्क दे रहे थे । और भी कई लोग खुद के धर्म और दर्शन को अनेक उपायों से समझा रहे थे , प्रचार कर रहे थे । हिन्दू धर्म की पुस्तकें तो लगभग सभी स्थलों पर थीं । श्रीराम शर्