अभी विश्व हिंदी दिवस पर हम बस इतना ही कहना चाहते थे कि उस पीढ़ी से ज्यादा हिंदी प्रेमी कोई नहीं हो सकता जिन्होंने अंग्रेजी भी हिंदी माध्यम से पढ़ी है और आज चाह कर या अनचाहे भी अंग्रेजी में कुछ कहना या लिखना पड़े तो भी पहले मन में हिंदी में सोचते हैं फिर उसकी अंग्रेजी बनाते फिरते हैं फिर चाहे वो जैसी भी बन या बिगड़ जाए ।
अगर आप इसी पीढ़ी के हैं
तो आपको सलाम ! हिंदी आपकी वजह से ही अभी तक बची हुई है ।
कुमार अनेकांत
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