पंचकल्याणक : एक विचार और एक प्रस्ताव सार्थक पहल के लिए ......
प्रो अनेकांत कुमार जैन
8/12/24
कुछ ही दिनों के अंतराल में लगभग आसपास के ही स्थानों पर अनेक पंचकल्याणक भी उत्साह, शक्ति और संख्या को बांट देते हैं ।
कभी कोई ऐसी योजना भी बने कि आसपास की तिथियों के और स्थानों के दो चार पंच कल्याणक मर्ज कर दिए जाएं और सभी लोगों का पूरा समर्पण उसी एक में हो , सर्वे पदा हस्तिपदेनिमग्ना: न्याय से समस्त कार्य भी सिद्ध हो जाएंगे और अपव्यय से भी बचेंगे ।
जब चर्चा चल ही रही है तो सभी चर्चाएं होनी चाहिए ।
मूल समस्या है धन ।
सामान्य रूप से देश के प्रत्येक समाज में औसतन पंचकल्याणक महज़ सिर्फ प्रतिष्ठा और प्रभावना के लिए नहीं करवाये जाते हैं ।
बल्कि उसका एक और मुख्य उद्देश्य होता है - दान संग्रह ।
यदि उसके समुचित विभाजन और लाभ का विश्वसनीय समाधान करने का आकर्षक प्रबंधन हो तो कई स्थानों के तो स्वयमेव मर्ज हो जाएंगे ।
ये प्रयोग है कोई जबरजस्ती नहीं है । मर्ज वही होता है जिसे उसमें लाभ नज़र आता है ।
किसी प्रसिद्ध तीर्थ क्षेत्र का चयन करें जहाँ आवागमन के समुचित साधन हों , आवास इत्यादि की पर्याप्त व्यवस्थाएं हों ।
वहाँ , एक 24 तीर्थंकर महा-पंचकल्याणक का आयोजन वर्ष में एक बार भरपूर वैभव के साथ हो ।
जिन्हें भी अपने नगर में पंचकल्याणक करवाना हो वे सम्मिलित हो जाएं ।
अपने दातार ,दान अपने अपने पास रखें । जो आयोजन का खर्च होता है उसकी निश्चित राशि वहाँ जमा करवा दें ।
सांस्कृतिक
कार्यक्रम में सामूहिक रूप से खूब आध्यात्मिक नृत्य नाटिकाएं हों ,नाटक हों, आध्यात्मिक कवि सम्मेलन,विद्वत गोष्ठियां हों ।
एक वरिष्ठ प्रतिष्ठाचार्य के साथ
प्रतिष्ठाचार्यों की टीम हो ।
जिन जिन स्थलों के पंचकल्याणक उसमें सम्मिलित हैं वे अपने बड़े बड़े स्टाल लगाएं ,अपना स्वयं का प्रचार करें ,साहित्य वितरित करें ,अपनी योजनाएं बताएं, दान एकत्रित करें सभी से अपने यहां दर्शनार्थ पधारने हेतु निवेदन करें ।
फिर अपने अपने नगर में जाकर एक भव्य शोभायात्रा निकलवा कर वेदी प्रतिष्ठा आदि संक्षिप्त कार्यक्रम भी करें ।
पहले जब संसाधन नहीं थे तब ऐसा ही होता था ।
ऐसा करने पर समय और धन दोनों की बचत होगी ।
वर्ष में एक बार विशाल मेले जैसा आयोजन होने से लोग भी धर्म लाभ लेने हेतु अपनी तिथियां पहले से सुरक्षित रखेंगे और पूरे कार्यक्रम में उपस्थित रहेंगे ।
अभी जो हाल है वह किसी से छुपा नहीं है । अधिकांश कार्यक्रम में जनता कम होती है कैमरे ज्यादा । लोग एक दिन के लिए विशेषकर जन्म कल्याणक के लिए जाना पसंद करते हैं । या किसी दिन कोई सिलेब्रेटी आ रहा हो या कोई विशेष कार्यक्रम हो उस दिन ।
बहुत कुछ संभव है । कोई संस्था इसकी शुरुआत तो करे ।
एक विचार और एक प्रस्ताव सार्थक पहल के लिए ......
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