विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा मान्य जैन विद्या एवं प्राकृत से संबंधित शोध पत्रिकाएं प्रो अनेकांत कुमार जैन , नई दिल्ली वर्तमान में जैन विद्या एवं प्राकृत भाषा से संबंधित बहुत कम शोध पत्रिकाएं प्रकाशित होती हैं । शोधकार्य करने वालों को पी एच डी के लिए तथा कॉलेज या विश्वविद्यालय में पदोन्नति प्राप्त करने वालों को अपना शोध पत्र उन्हीं पत्रिकाओं में प्रकाशित करना चाहिए जो यू जी सी की सूची में सम्मिलित हों । अन्यथा वे मान्य नहीं होते हैं । यू जी सी की वेबसाइट पर प्राकृत या जैन विद्या का अलग से सेक्शन नहीं है । अतः ये पत्रिकाएं अलग अलग दर्ज हैं जिन्हें खोजने में शोधार्थियों को बहुत समस्या होती है । इस समस्या के निदान के लिए मैंने यूजीसी की वेबसाइट पर कुछ समय पहले बहुत खोजकर निम्नलिखित जैन दर्शन एवं प्राकृत की शोध पत्रिकाओं के नाम निकाले हैं वे निम्नलिखित है - Section- Philosophy 1. Anekant - SL. No. 436 , Journal No. 41337 2. Tulsi pragya 470/ 42139 3. Arhat Vachan 437 / 41376 4. Jain sprit 450 / 41733 5. Jin Manjari 452. / 41741 6. Vaishali Institute research bulletin 471/ 42