*करोना वायरस के भय से मुक्त करता है जैन दर्शन* *प्रो. डॉ अनेकांत कुमार जैन,नई दिल्ली* हमें करोना वायरस से सतर्क रहना है , सभी नियमों का पालन करना है लेकिन भयभीत नहीं होना है । घबडाना नहीं है । करोना के साथ संघर्ष के लिए जो आत्मबल चाहिए,भय - चिंता और अवसाद उसे कमजोर बनाता है । भय, चिंता और अवसाद करोना से भी ज्यादा खतरनाक वायरस है । जैन दर्शन का शाश्वत सिद्धांत हमें सभी प्रकार के भय और चिंता से दूर करके हर परिस्थिति से विवेक और पुरुषार्थ पूर्वक लड़ना सिखाता है हमारा आत्मबल मजबूत करता है - *जो जो देखी वीतराग ने सो सो होसी वीरा रे* *अनहोनी सो कब हूं न होसी* *काहे होत अधीरा रे* प्राकृत भाषा के प्राचीन आगम में दो गाथाएं ऐसी आती हैं जो हमें भय मुक्त बनाती हैं - *जं जस्स जम्मि देसे जेण विहाणेण जम्मि कालम्मि।* *णादं जिणेण णियदं जम्मं वा अहव मरणं वा*।। *तं तस्स तम्मि देसे तेण विहाणेण तम्मि कालम्मि।* *को सक्कदि वारेदुं इंदो वा तह जिणिंदो वा*।। कत्तिकेयाणुवेक्खा/गाथा ३२१-३२२ अर्थात् जिस जीव के, जिस देश में, जिस काल में, जिस विधान से, जो जन्म ...