*संस्थाओं में सेवा संबंधी सात तथ्य*
किसी भी सामाजिक या सरकारी संस्था में यदि कोई कार्य करता है तो उन्हें ये सात तथ्य जरूर ध्यान में रखने चाहिए ,ताकि निराश न होना पड़े -
1.बेहतर है कुछ नहीं करो,बस जानो देखो और सलाह देते रहो- ऐसा होना चाहिए,वैसा होना चाहिए, चिंता फिकर भी जताते रहो ,करो नहीं । आपकी पूजा होगी ।
2. कुछ करोगे या करने की कोशिश करोगे तो आलोचना के लिए तैयार रहो । प्रशंसा कोई नहीं करेगा ।
3. अच्छा हो गया तो कोई धन्यवाद देने भी नहीं आएगा ,हाँ - कई चौधरी बनने जरूर आ जाएंगे और श्रेय लेने की होड़ हो जाएगी ।
4. अच्छा नहीं हो पाया या असफलता मिली तो आलोचना सुनने को तैयार रहो , इसका श्रेय सिर्फ आपको ही मिलेगा ।
5. हाँ, आपका मूल्यांकन हो सकता है ,आज न हो लेकिन वक्त जरूर करेगा ।लेकिन तब आप यहां न होंगे ।
6. आपका समर्पण और लगन ,परिश्रम और प्रयास ,आपके सच्चे अभिप्राय का असर आपके कर्म और उसके फल पर जरूर पड़ेगा । वहाँ ,भ्रष्टाचार नहीं चलता ।
7.इसलिए वही करिए जो शास्त्र सम्मत हो ,उचित हो और जिसमें आपकी भावना जुड़े । अहितकारी ,आगम विरुद्ध कार्यों का अवश्य विरोध करें । अपनी असहमति दर्ज करें । चुप रहना भी कभी कभी अपराध की श्रेणी में आता है ।
लोगों का मुंह देखेंगे और पुरस्कार की आकांक्षा रखेंगे तो निराश ही होना पड़ेगा ।
*गर हो शौक सेवा का ,जी भर कर तुम करना ।*
*मगर कोई याद रखेगा ,इस गफलत में न रहना ।।*
प्रो अनेकांत
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