क्षमा आत्मा का स्वभाव है किन्तु मिथ्यात्व आदि के कारण ये आत्मा क्रोध आदि विभाव रूप परिणमन करने से हो सकता है आपका दिल भी दुखा हो और हमें यह पता भी ना हो ।मैं प्रयास करूँगा जितना हो सके अपनी कषायों पर काबू रख सकूँ और दुबारा आपको कोई भी कष्ट न दूँ ।पर इस बार तो आपको मुझे क्षमा करना ही पड़ेगा ताकि मुझे सँभलने का अवसर मिल सके ।आपके विशाल ह्रदय की सम्भावना पर ही मैं आपसे क्षमा याचना कर रहा हूँ और आशा करता हूँ कि आप अपनी समता का परिचय अवश्य देंगे ।
आपका अपना -
डॉ अनेकांत कुमार जैन , रूचि जैन ,सुनय,अनुप्रेक्षा ,नई दिल्ली
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