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The Vīra Nirvāṇa Saṁvat: Ancient India's Oldest Calendar System

The Vīra Nirvāṇa Saṁvat: Ancient India's Oldest Calendar System Prof Anekant KumarJain In the rich tapestry of India's chronological traditions, one calendar system stands as a testament to the antiquity of Jain civilization yet remains relatively unknown in mainstream historical discourse. The Vīra Nirvāṇa Saṁvat, commemorating the spiritual liberation of 24th Tȋrthankara Bhagwān Mahāvīra, represents not merely a method of time-reckoning but a profound marker of cultural continuity that predates many of the world's most recognized calendrical systems. Recent archaeological discoveries and epigraphic evidence have brought renewed attention to this ancient era, challenging conventional assumptions about the development of systematic time-keeping in the Indian subcontinent. Historical Origins and Establishment Teerthankar Mahaveera attained Nirvāṇa (spiritual salvation) on the New Moon of Kartik Krishna month, coinciding with what is now celebrated as Diwali, in 5...
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वीर निर्वाण दीपोत्सव और सबसे प्राचीन संवत्

वीर निर्वाण दीपोत्सव और सबसे प्राचीन संवत्   प्रो.डॉ.अनेकांत कुमार जैन  आचार्य-जैन दर्शन विभाग  श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय             नई दिल्ली-16 दीपावली भारत का एक ऐसा पवित्र पर्व है जिसका सम्बन्ध भारतीय संस्कृति की सभी परम्पराओं से है ।भारतीय संस्कृति के प्राचीन जैन धर्म में इस पर्व को मनाने के अपने मौलिक कारण हैं ।आइये आज हम इस अवसर पर दीपावली के जैन महत्त्व को समझें ।ईसा से लगभग ५२७  वर्ष पूर्व कार्तिक मास कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के समापन होते ही स्वाति नक्षत्र में जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर का वर्तमान में बिहार प्रान्त में स्थित पावापुरी से निर्वाण हुआ था। भारत की जनता  ने अमावस्या को   प्रातः काल जिनेन्द्र भगवान की पूजा कर निर्वाण लाडू (नैवेद्य) चढा कर पावन दिवस को उत्साह पूर्वक मनाया । यह उत्सव आज भी अत्यंत आध्यात्मिकता के साथ देश विदेश में मनाया जाता है । इसी दिन रात्रि को शुभ-बेला में भगवान महावीर के प्रमुख प्रथम शिष्य गणधर गौतम ...

क्या सभी एकान्त मिलकर अनेकान्त बन जाता है?

*क्या सभी एकान्त मिलकर अनेकान्त बन जाता है?*  -प्रो. वीरसागर जैन अनेकांतवाद की चर्चा करते समय प्राय: यह प्रश्न उपस्थित होता है कि क्या सभी एकांतों को मिला देने से अनेकांत बन जाता है और इस प्रश्न का उत्तर विद्वानों में अंत तक मतभेदपूर्ण ही बना रहता है, कोई समाधान नहीं निकल पाता है । कुछ विद्वान कहते हैं कि हाँ, सभी एकांतों को मिलाने से ही तो अनेकांत बनता है, एकांतों के समूह को ही तो अनेकांत कहते हैं । किन्तु इसके विपरीत कुछ विद्वान कहते हैं कि नहीं, ऐसा कदापि नहीं हो सकता, एकांतों को मिला देने से अनेकांत नहीं बन सकता, क्योंकि एकांत तो मिथ्या होते हैं और मिथ्याओं का समूह मिथ्या ही रहेगा, सम्यक् नहीं हो सकता, दस-दस वर्ष के दो लड़के मिलकर बीस वर्ष का एक नहीं बन सकता । दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी बात दृढ़ता से प्रस्तुत करते हैं और समर्थन में कुछ गाथा, श्लोक, उदाहरण आदि भी प्रस्तुत करते हैं । शास्त्रों में भी इन दोनों के संकेत मिल जाते हैं । इस प्रकार इस महत्त्वपूर्ण प्रश्न के सम्बन्ध में विद्वानों तक में मतभेद बना रहता है, बात स्पष्ट नहीं होती कि आखिर सही बात क्या है । सभी एकांतों के मिलने से...

प्रो.अनेकान्त आचार्य हस्ती स्मृति सम्मान 2025 से सम्मानित

 प्रो.अनेकान्त आचार्य हस्ती स्मृति सम्मान 2025 से सम्मानित अखिल भारतीय श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ द्वारा प्रवर्तित संघ के सर्वश्रेष्ठ साहित्यिक अवार्ड 'आचार्य हस्ती स्मृति सम्मान 2025' जैनदर्शन और प्राकृत भाषा के युवा मनीषी प्रो अनेकान्त कुमार जैन ,आचार्य - जैनदर्शन विभाग,श्री लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय,नई दिल्ली को उनके साहित्यिक अवदान के लिए दिनाँक 27/09/2025 को  संघ द्वारा विशाल स्तर पर जोधपुर में आयोजित गुणी अभिनंदन समारोह में मुख्य अतिथि विधायक श्री अतुल भंसाली जी  ,संघ संरक्षक श्री मोफतराज जी मुणोत , अध्यक्ष श्री नवरत्न डागा,मुख्य अतिथि प्रो प्रेमसुमन जैन जी गुणी अभिनंदन चयन समिति की अध्यक्ष श्रीमती सुशीला बोहरा ,राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आनंद चोपड़ा  ने शाल ,माला ,शील्ड तथा चेक से सम्मानित किया ।  ज्ञातव्य है कि पूर्व में राष्ट्रपति तथा उ.प्र. राज्यपाल द्वारा सम्मानित प्रो.अनेकान्त कुमार जैन लब्ध प्रतिष्ठित वरिष्ठ मनीषी प्रो डॉ फूलचंद जैन प्रेमी जी ,तथा  विदूषी डॉ मुन्नीपुष्पा जैन ,वाराणसी के ज्येष्ठ सुपुत्र हैं ...

An Introduction : Prof Dr Anekant Kumar Jain प्रो०डॉ अनेकांत कुमार जैन : एक परिचय

  संक्षिप्त परिचय प्रो०डॉ अनेकांत कुमार जैन आचार्य (Prof.) –जैनदर्शनविभाग , दर्शन संकाय , श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विश्वविद्यालय , कुतुबसांस्थानिक क्षेत्र , नई दिल्ली- 110016 पिता -   प्रो.डॉ.फूलचन्द जैन प्रेमी , वाराणसी , माता - श्रीमती डॉ मुन्नीपुष्पा जैन , वाराणसी प्रमुख पुरस्कार/उपाधियाँ/सम्मान- सरकार द्वारा - ·        युवा राष्ट्रपति पुरस्कार 2013 (भारत के राष्ट्रपति द्वारा ) ·        उ.प्र.राज्यपाल द्वारा जैन विद्या संस्कृति संरक्षण सम्मान -2025(गणतंत्र दिवस पर ) ·        श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान ( दिल्ली सरकार द्वारा ) - 2018 ·        ‘शास्त्रभूषणसम्मान’ 2021 , विश्वविद्यालय द्वारा समाज/संस्थाओं   द्वारा - शास्त्रिपरिषद पुरस्कार-2014     विद्वत्परिषद पुरस्कार -2014 कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ पुरस्कार-2005 महावीर पुरस्कार-2014 अर्हत्वचन पुरस्कार -1999       जैन सिद्...