इस कहानी के माध्यम से मैं कुछ कहना चाहता हूँ ०००० डॉ अनेकान्त कुमार जैन ,नई दिल्ली किसी की प्रेरणा से उसने मंदिर आना शुरू ही किया था , पहले ही दिन किसी काले पुजारी ने उसे काली टी शर्ट के लिए उसे बहुत बुरी तरह से टोक दिया , उसे लगा यदि काला रंग इतना अशुभ है तो काली चमड़ी के मनुष्यों को भी पूजा नहीं करनी चाहिए एक दिन वह रात में मंदिर आया और घंटा बजाया तो किसी ने उसे रात में घंटा बजाने से यह कह कर मना किया कि इससे हिंसा होती है और शोर होता है,वह मान गया । बाद में उसने मंदिर में ही रात को सांस्कृतिक कार्यक्रमों में ढ़ोल मजीरे आर्केस्ट्रा बजते देखा तो उसे बहुत बुरा लगा, ये दोहरे मानदंड देखकर । उसने प्रवचन में सुना कि धन संग्रह नहीं करना चाहिए ,और ज्ञान का अभ्यास करना चाहिए , फिर प्रवचन के बाद उसने करोड़ो की बोलियां सुनी और सबसे बड़े परिग्रही का सम्मान ,ज्ञानी पंडित जी से ज्यादा होते देखा तो उसका कंफ्यूजन बढ़ गया । एक दिन मंदिर में पूजा के दौरान अचानक उसका मोबाइल बजने लगा...... हद तो तब हुई जब पूजा समाप्त हुई तो सभी पुजारियों ने उसे बुरी तरह ज़लील कर दिया .... ...