आध्यात्मिक शिक्षा 1. क्रोध मान माया लोभ जैसे आत्म विकारों का प्रबंधन । 2.अनुकूल और प्रतिकूल स्थिति आने पर साम्य भाव का प्रशिक्षण । 3. आत्मा में अहिंसा भाव का उद्घाटन ।आत्म विशुद्धि के लिए सत्य , अचौर्य ,ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह भाव का विकास । 4. आत्म ध्यान का अभ्यास और उसकी प्रक्रिया 5.करुणा भाव का विकास 6.भेद विज्ञान की अनुभूति । शरीर और आत्मा की पृथकता का अभ्यास । स्व - पर की अनुभूति । 7. अनासक्त चेतना का विकास । 8. अन्य सभी मनुष्यों और जीवों के साथ समानुभूति का प्रशिक्षण । 9. व्यसन मुक्त जीवन शैली का अभ्यास । 10.कर्म और उसके फल के शुभ अशुभ अनुभव का परिज्ञान ।