*हमारा साधर्मी वात्सल्य*
80 वर्षीय कैंसर पीड़ित एक जैन वृद्धा ने बताया कि मैंने जीवन भर मंदिर जाकर सभी के साथ पूजा,विधान,स्वाध्याय किया । अब तक उदारता पूर्वक समाज मंदिर के विभिन्न कार्यों में लाखों का दान भी किया ।
बीमार होने से पिछले 3 महीनों से मंदिर जा नहीं पा रही हूँ ,पर मुझे आश्चर्य और दुख इस बात का है कि न तो मुझसे कोई मिलने आया,न ही किसी ने मुझे फ़ोन किया कि इतने महीने से दिख क्यों नहीं रहीं ? आ क्यों नहीं रहीं ? आपको कोई समस्या तो नहीं है ?
*आज जो स्वस्थ्य दिखता है बस उससे हाल पूछते हैं ।*
*कोई साथी पीछे छूट जाय तो उसे कहाँ ढूढ़ते हैं ?*
प्रो अनेकान्त कुमार जैन,नई दिल्ली
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