*कहीं इस बार भी बुद्ध की आड़ में खो न जाएं महावीर* 21 अप्रैल को महावीर जयंती है । पिछले साल कई अखबारों ने महावीर की जगह बुद्ध की फ़ोटो छाप दी थी । यहाँ तक कि सरकारी विज्ञापनों में भी एक तो बधाई आती नहीं है और यदि कोई आई तो उसमें भी बुद्ध छापे गए । मैं दिल्ली के अहिंसा स्थल के पास से जब भी गुजरता हूँ तो ऑटो टैक्सी वालों से जानबूझ कर पूछता हूँ कि भैया ये किनकी मूर्ति यहाँ लगी हुई है ? तो 99% उसे बुद्ध बतलाते हैं । जबकि वहां मुख्य द्वार पर भगवान् महावीर नाम भी लिखा है । अब इसमें सारा दोष दूसरों को देने से कुछ नहीं होगा । हमें स्वीकारना होगा कि जहां हमें दिखना चाहिए वहां हम नहीं होते हैं । हमारी शक्ति खुद में ही खुद के प्रचार में लग रही है । बाहर बुरा हाल है .... इसके लिए हमारी सामाजिक संस्थाएं निम्नलिखित कदम अभी से उठा सकती हैं - 1. सारे मीडिया हाउस को पत्र लिखकर यह अज्ञानता दूर करना और महावीर का वीतरागी वास्तविक चित्र उपलब्ध करवाना । 2.व्यक्तिगत संपर्क से इन विसंगतियों को ठीक करना करवाना । 3. मंत्रालयों के कार्यालय जहाँ से ये बधाइयां...