अटल जी से सीखें विरोधी के साथ व्यवहार कैसे करें ?
हमारे समभाव की परीक्षा इस बात से होती है कि हम अपने विरोधियों के साथ क्या व्यवहार अपनाते हैं ?क्या हम अपने विचारों से विपरीत विचार वाले के साथ उठ बैठ लेते हैं ? उसे बने रहने देना चाहते हैं या कि समाप्त करना चाहते हैं ? यदि हम उसे जड़ से ख़त्म करना चाहते हैं ,उसे मार डालना चाहते हैं तो हमारे समभाव की नीति बहुत संदेहास्पद है | हम समभाव को समझे ही नहीं |अपने विरोध को भी सहज स्वीकारे और सहन किये बिना हम समभाव की साधना नहीं कर सकते |
विरोधी के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए यह हमें अटल जी के जीवन से सीखना चाहिए । वे विरोध भी इस नज़ाकत के साथ करते थे कि विरोधी को भी उनसे प्यार हो जाता था।गांधी जी ने राजनीति में अहिंसा के प्रयोग की मिसाल कायम की थी ।अटल जी ने राजनीति में जैन दर्शन के अनेकान्त और स्याद्वाद सिद्धांत के कुशल प्रयोग की मिसाल बनायी । विपक्ष भी सरकार चलाता है - ये हमें अटल जी ने समझाया ।
आज विरोध करना सभी को आता है लेकिन उस विरोध में शालीनता,विनम्रता ,भाषा का संतुलन और कुछ नहीं कह कर भी विरोध जता देने की कला के महारथी थे अटल जी । आज राजनीति में भाषा और व्यवहार का जो गिरा हुआ रूप देखने में आ रहा है वह चिंतनीय है ,इसके कारण आज लोकतंत्र कलंकित हो रहा है । अटल जी को श्रद्धांजलि देने वाले सभी राजनीतिज्ञ उनके इस गुण को सीख लें तो अटल जी को सच्ची श्रद्धांजलि होगी ।
अटल जी के जीवन की शिक्षाएं हमारे जीवन में अटल रहें - यही कामना है ।
अश्रुपूरित श्रद्धांजलि ।
-प्रो अनेकान्त कुमार जैन ,अध्यक्ष-जैनदर्शन विभाग,श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृत विद्यापीठ,नई दिल्ली-16
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