"अंतर्राष्ट्रीय जुगाड़ दिवस भी मनाया जाय"
"अंतर्राष्ट्रीय जुगाड़ दिवस भी मनाया जाय" क्यों कि योग का एक देसी अर्थ "जुगाड़" भी है |
दर्शन - "जुगाड़",आसन -
इसका एक ही सिद्ध आसन है - " चाटुकारासन " |
ये सब नहीं कर सकते |
ये सब नहीं कर सकते |
कौन कर सकता है ?-इसके साधक योगियों में धैर्य,समता,चेहरे पर कृत्रिम मुस्कान,अविद्यमान गुणों की भी प्रशंसा करना,रात को दिन कहने की कला ,चरण स्पर्श आदि में महारथ,मौसम को भांपने की क्षमता और उसी के अनुकूल खुद का भी रंग बदलने का हुनर,किसी एक सिद्धांत पर अडिग न रहने का साहस,खुद की हर क्रिया को सही और तर्क सम्मत सिद्ध करने का पांडित्य आदि आदि विशेष गुण होते हैं |इनके अभाव में इसकी साधना नहीं की जा सकती |इसके लिए रीड़ की हड्डी में विशेष लचीलापन चाहिए |
मंत्र- व्यर्थ की प्रशंसा इसका मूल मंत्र है| काव्य कला हो तो अधिक असरकारी हो जाता है|
इसके लाभ -
१.व्यक्ति सत्ता परिवर्तन जैसे तनावों से मुक्त रहता है |
२.सरकार चाहे जिसकी हो उसका कभी ट्रान्सफर आदि नहीं होता |वह अपदस्थ नहीं होता |सहज ही बड़े बड़े पद और सुविधाएँ मिल जाती हैं |
३.कार्यक्षेत्र में योग्यता की न्यूनता होने पर भी पदोन्नति शीघ्र प्राप्त हो जाती है |वरीयता क्रम भी कोई मायने नहीं रखता |
४.रिश्वत आदि खर्चे के बिना भी काम हो जाते हैं |बचत होती है |
५.इसके माध्यम से बड़े बड़े संत महात्मा,मंत्री,अधिकारी,कुलपति,उद्योगपति आदि को कुछ ही दिनों की साधना के बाद आसानी से अपने वश में करके लाभ प्राप्त किया जा सकता है |
विशेषताएं -
१.यह सभी देशों में चलता है पर भारत हमेशा से विश्व गुरु है |
२.यह गैर सांप्रदायिक है |सभी धर्मों में,धर्म संस्थाओं में समान रूप से मान्यता प्राप्त है |
३.सभी राजनीतिक दलों को यह स्वीकार्य है |
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