सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

ना भूलें भारत का प्राचीन गणतंत्र ‘वैशाली’

ना भूलें भारत का प्राचीन गणतंत्र ‘वैशाली’ डॉ अनेकान्त कुमार जैन भारत का गणतंत्र पूरे विश्व में प्रसिद्ध है | पूरे विश्व को जनतंत्र का उपदेश देने वाला वैशाली गणराज्य भारत में ही    स्थित था | आज विश्व के अधिकांश   देश गणराज्य हैं , और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी । भारत स्वयं एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है । ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र कायम किया गया था। आज वैशाली बिहार प्रान्त के वैशाली जिला में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है| इसके अध्यक्ष लिच्छवी संघ नायक महाराजा चेटक थे|इन्हीं महाराजा चेटक की ज्येष्ठ पुत्री का नाम ‘प्रियकारिणी त्रिशला’था जिनका विवाह वैशाली गणतंत्र के सदस्य एवं ‘क्षत्रिय कुण्डग्राम’ के अधिपति महाराजा सिद्धार्थ के साथ हुआ था और इन्हीं के यहाँ 599 ईसापूर्व बालक वर्धमान का जन्म हुआ जिसने अनेकान्त सिद्धांत के माध्यम से पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी और तीर्थंकर महावीर के रूप में विख्यात हुए | भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मानने वालों के लिये वैशाली एक पवित्र स्थल है। वज्जिकुल में ज...

टिप्पणियों से बचें प्रवचनकार

सादर प्रकाशनार्थ किसी भी धर्म के देवी देवताओं पर टिप्पणियों से बचें प्रवचनकार डॉ अनेकान्त कुमार जैन                        चाहे कोई भी प्रवचनकार हों ,उनकी सभा में हजारों लाखों श्रोता आते हों ,भले ही वे करोड़ों में खेलते हों किन्तु किसी भी प्रवचनकार को चाहे वह गृहस्थ हो या सन्यासी उन्हें स्वयं को भगवान मानने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए|श्रोता भक्ति के अतिरेक में भले ही उन्हें भगवान से भी बड़ा मानते या कहते हों पर उन्हें हमेशा यह मान कर चलना चाहिए कि वे सर्वप्रथम एक मनुष्य हैं और सामाजिक भी हैं|वर्तमान में प्रायः यह देखने में भी आ रहा है कि धार्मिक ग्रंथों के प्रमाण दे दे कर अपने से अन्य सम्प्रदाय के अनुयायियों और उनके देवी देवता, आराध्यों तथा साधुओं पर भी खुल कर टीका टिप्पणी हो रहीं हैं तथा उन्हें मिथ्यात्वी,मायावी और भ्रष्ट करार देने का सिलसिला चल रहा है.यह अशुभ संकेत है|                 ...

तत्त्वार्थ श्लोक वार्तिक में नय विवेचन (कृतिदेव फोंट हिंदी २६ )

rÙokFkZ’yksdokfrZd esa u;fl)kUr dk foospu MkW- vusdkUr dqekj tSu lgk;dkpk;Z&tSun’kZufoHkkx Jh yky cgknqj ‘kkL=h jkf”Vª; laLÑr fo|kihB ¼ek- fo’ofo|ky;½] ubZ fnYyh& 110016 Ekks- 9711397716      vkpk;Z fo|kuan us rÙokFkZ’yksdokfrZd lHkk”; esa u; fuo”k;d fo’ks”k foospu fd;k gSA vkius blds lkFk gh vkIrijh{kk] lR;’kklu ijh{kk] izek.k ijh{kk] i= ijh{kk] fo|kuan egksn; rFkk Jhiqj&ik’oZukFk L=ks= tSls Lora= xzaFkksa rFkk vkpk;Z leUrHknzÑr vkIrehekalk xzUFk ij v”Vlglzh uked fo’kky Vhdk xzUFk vkSj ;qDR;uq’kklukyadkj tSls egku Vhdk xzUFkksa dk iz.k;u dj JqrijEijk dks xfr’khy cuk;kA vkpk;Z fo|kuUn nf{k.k Hkkjr ds d.kkZVd izkUr ds fuoklh FksA MkW- njckjh yky dksfB;k [1] rFkk MkW- usfepUnz ‘kkL=h [2] vkfn fo}kuksa us budk le; vusd izek.kksa ds vk/kkj ij foØe dh uoeh ‘krh fuf’pr fd;k gSA u; dk Lo:Ik &       vkpk;Z fo|kuan u; dh ifjHkk”kk djrs gq;s dgrs gSa fd ftlds }kjk JqrKku ls tkus gq, vFkZ dk ,dns’k tkuk tk;s og ...