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जैनधर्म बलात धर्मान्तरण के पक्ष में कभी नहीं रहा |यह स्वेक्षा का पक्षधर है |कोई भी व्यक्ति चाहे वह किसी भी जाति का हो वह जन्मना न सही,कुछ नियमों का पालन करके कर्मणा जैन तो बन सकता है | जो जन्मना जैन हैं उन्हें भी यदि वे जैन नियमों का पालन नहीं करते हैं तो नामधारी जैन ही कहा जाता है |
फिर भी धर्मान्तरण के ज्वलंत मुद्दों के बीच यदि कोई आत्मकल्याण की शुद्ध भावना से स्वेक्षा से जैन होना चाहे तो निम्नलिखित ५ साधारण न्यूनतम आचारसंहिता का पालन करके आज से जैन होने की शुरुआत कर सकता है -
धर्म का नाम - नव-जैन ( न्यू जैनिज़्म )
उद्देश्य - करुणा और आत्म विशुद्धि
प्राथमिक नियम -
१.प्रतिदिन स्नान करके णमोकार महामंत्र का मात्र नौ बार पाठ करें |
२.शुद्ध शाकाहारी भोजन ही करें |
३.नशे का सेवन न करें |
४.पञ्च अणुव्रतों का यथा शक्ति पालन करें |
५.क्रोध -मान-माया-लोभ से बचने का प्रयास करें |
उपनियम -
१.सभी से अभिवादन में जय जिनेन्द्र कहें |
२.सभी धर्मों का सम्मान करें |किसी की निंदा न करें |
३.राष्ट्र विरोधी किसी भी गतिविधि में शामिल न हों और न ही उसका समर्थन करें |
सुविधा -
१.आपको किसी से दीक्षित होने की जरूरत नहीं है |
२.आपको अपना नाम /उपनाम /जाति बदलने की भी जरूरत नहीं हैं |
३.जैन धर्म गुणों की पूजा करता है व्यक्ति /वेश/ भूषा आदि की नहीं |
४.आप देश काल समाज के अनुसार कोई भी शालीन वस्त्र धारण कर सकते हैं |
५.आप कोई भी भाषा लिख बोल सकते हैं |
नारा -
आत्मा ही गुरु है|
धर्म आज से शुरू है ||
निवेदक
डॉ अनेकांत कुमार जैन
anekant76@gmail.com
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