दीपावली के शुभ अवसर पर भारत की प्राचीन भाषा "प्राकृत" में प्रकाशित होने वाले प्रथम पत्र "पागद-भासा" की तरफ से प्रथम शताब्दी के प्राकृत आगम कसायपाहुड की जयधवला टीका के एक महत्वपूर्ण सन्दर्भ के साथ हार्दिक शुभकामनायें -
"कत्तियमास किण्ह पक्ख चौदस दिवस केवलणाणेण सह एत्थ गमिय परिणिव्वुओ वड्ढमाणो ।अमावसीए परिणिव्वाण पूजा सयल देविहिं कया |"
अर्थात् कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्दशी को भगवान् वर्धमान निर्वाण गये और अमावस्या को समस्त देवों ने निर्वाण पूजा की ।
-संपादक-डॅा०अनेकान्त कुमार जैन,नई दिल्ली,pagadbhasa001@gmail.com
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