प्रो अनेकान्त कुमार जैन
भारत का
गणतंत्र पूरे विश्व में प्रसिद्ध है | पूरे विश्व को जनतंत्र का उपदेश देने वाला
वैशाली गणराज्य भारत में ही स्थित था | आज विश्व के अधिकांश देश गणराज्य हैं, और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक
भी । भारत स्वयं एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है । ऐतिहासिक प्रमाणों के
अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र कायम किया गया
था। आज वैशाली बिहार प्रदेश में स्थित एक
ऐतिहासिक स्थल है|
इसके अध्यक्ष लिच्छवी संघ नायक महाराजा चेटक थे|इन्हीं
महाराजा चेटक की ज्येष्ठ पुत्री का नाम ‘प्रियकारिणी त्रिशला’था जिनका विवाह
वैशाली गणतंत्र के सदस्य एवं ‘क्षत्रिय कुण्डग्राम’ के अधिपति महाराजा सिद्धार्थ
के साथ हुआ था और इन्हीं के यहाँ 599 ईसापूर्व चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन बालक वर्धमान का जन्म हुआ
जिसने अनेकान्त सिद्धांत के माध्यम से पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी और
तीर्थंकर महावीर के रूप में विख्यात हुए | भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के
कारण जैन धर्म के मानने वालों के लिये वैशाली एक पवित्र स्थल है। वज्जिकुल में
जन्मे भगवान महावीर यहाँ २२ वर्ष की उम्र तक रहे थे।
साहित्य से ज्ञात होता है कि भगवान महावीर के काल में अनेक गणराज्य
थे। तिरहुत से लेकर कपिलवस्तु तक गणराज्यों का एक छोटा सा
गुच्छा गंगा से तराई तक फैला हुआ था। गौतम बुद्ध
शाक्यगण में उत्पन्न हुए थे। लिच्छवियों का गणराज्य इनमें सबसे शक्तिशाली था, उसकी राजधानी वैशाली थी। लिच्छीवियों के संघ (अष्टकुल) द्वारा गणतांत्रिक
शासन व्यवस्था की शुरूआत वैशाली से की गई थी। लगभग छठी शताब्दी ईसा पूर्व में यहाँ
का शासक जनता के प्रतिनिधियों द्वारा चुना जाने लगा और गणतंत्र की स्थापना हुई।
अत: दुनियाँ को सर्वप्रथम गणतंत्र का ज्ञान कराने वाला स्थान वैशाली ही है। आज
वैश्विक स्तर पर जिस लोकतंत्र को अपनाया जा रहा है वह यहाँ के लिच्छवी शासकों की
ही देन है|साहित्य में इसकी सफलता के सात कारण बतलाए-
(1) सभी संघों की जल्दी- जल्दी सभाएं करना और उनमें
अधिक से अधिक सदस्यों का भाग लेना|
(2) राज्य के कामों को मिलजुल कर पूरा करना |
(3) कानूनों का पालन करना तथा समाज विरोधी कानूनों का निर्माण न करना|
(4) वृद्ध व्यक्तियों के विचारों का सम्मान करना|
(5) महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार न करना|
(6) स्वधर्म में दृढ़ विश्वास रखना |
(7) अपने कर्तव्य का पालन करना।
इन सात कारणों पर आज भी विचार करने की
आवश्यकता है | उस समय 16 महाजनपदों में वैशाली का
स्थान मगध के समान महत्वपूर्ण था। बौद्ध तथा जैन धर्मों के अनुयायियों के अलावा
ऐतिहासिक पर्यटन में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के लिए भी वैशाली महत्वपूर्ण है।
वैशाली की भूमि न केवल ऐतिहासिक रूप से समृद्ध है वरन कला और संस्कृति के
दृष्टिकोण से भी काफी धनी है।फिर बाद में हमने राजतंत्र का भी दृश्य देखा और अंग्रेज
तंत्र का भी दंश सहा | एक लंबे अंतराल के बाद आज हमने जो यह नई गणतंत्रीय व्यवस्था प्राप्त की है, वह मूलत: हमारे लिए
अपरिचित नहीं है, आवश्यकता बस उस पुरानी स्मृति को फिर से जगाने की है।राष्ट्र कवि रामधारी सिंह दिनकर की ये पंक्तियाँ हमें अपने कर्तव्यों का बोध कराती हैं –
वैशाली
जन का प्रतिपालक, विश्व का आदि विधाता,
जिसे
ढूंढता विश्व आज, उस प्रजातंत्र की माता॥
रुको एक
क्षण पथिक, इस मिट्टी पे शीश नवाओ,
राज
सिद्धियों की समाधि पर फूल चढ़ाते जाओ||
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