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निमित्त और उपादान के अन्तः सम्बन्ध

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"समाज का वास्तविक आइना है परिचय सम्मेलन"

                    "समाज का वास्तविक आइना है परिचय सम्मेलन"                           डॉ अनेकान्त कुमार जैन,नई दिल्ली                  विगत दिनों एक वैवाहिक सम्बन्ध के निमित्त भोपाल में आयोजित अखिल भारतीय दिगंबर जैन युवक –युवती परिचय सम्मेलन,टीन शेड जैन मंदिर ,टी.टी.नगर को जीवन में पहली बार इतने करीब से देखने को मिला.चार हज़ार से अधिक प्रत्याशियों के नामांकन के रिकॉर्ड के साथ यह संपन्न हुआ .बहुत ही सुन्दर व्यवस्था तथा वातावरण को देख कर वहाँ के पदाधिकारी तथा कार्यकर्ताओं को भी मैंने साधुवाद दिया .पूरे तीन दिन मैंने ऐसे कार्यक्रम को देखा जो सीधे रूप से भले ही कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं था ,किन्तु उससे कम भी नहीं था.समाज के बीच इस सम्मेलन के माध्यम से मैंने कुछ समीक्षा भी की जिसकी झलक / समीक्षा/ सुझाव / आदि मैं यहाँ बिन्दुवार रख रहा हूँ.आशा है पूरे देश के सभी आयोजक तथा अभिभावक इससे प्रेरणा लेंगे. झलक : १.मंच पर जब प्रत्याशियों से कोई गीत सुनाने को कहा गया तब प्रायः सभी ने भजन ही सुनाये .इसका मतलब है कि डिस्को धुन पर थिरकने वाली यह नई पीढ़ी यह जानती है कि समाज और धर्

दिल्ली के दिल दहला देने वाले रेप कांड के बाद आंदोलन की दिशा

                                                                लीक से हटें मगर भटकें नहीं                                                                     डॉ अनेकांत कुमार जैन दिल्ली के युवाओं का जोश अच्छा है, काबिले तारीफ है,भारत के इतिहास में सामाजिक मुद्दों पर बिना किसी नेता या पार्टी के ये पहला आंदोलन है जब युवाओं ने अपना आक्रोश प्रगट किया है.किन्तु जोश के साथ होश भी रखना होगा .नहीं तो आंदोलन भटक जायेगा.युवा दुविधा में है.अहिंसक प्रतिकार को कोई सुनता नहीं.और प्रतिकार हिंसक होता है तो चारो तरफ से इन्हें ही दोषी करार दिया जाता है .फिर भी मैं अपने सभी आंदोलन कारी मित्रों से ये अनुरोध कर्ता हूँ कि अहिंसा का शाश्वत रास्ता ना छोड़े.हम सभी धैर्य से विचार करें - १.कानून में रेप की कड़ी से कड़ी सजा होनी चाहिए.और वो मिलनी चाहिए .इसकी शरुआत रेप आरोपी नेताओं और पुलिस वालों से होना चाहिए. २.फांसी जैसी सजा में तो आरोपी मृत्यु को प्राप्त हो जायेगा और कहानी समाप्त.इसलिए सजा कड़ी से कड़ी हो यह मांग रखी जाये. ३.हिंसा के लिए भी सरकार दोषी है .यदि वह अहिंसक आन्दोलन से ही बात मान ले.हमारी

दसलक्षण महापर्व(१९ /९/२०१२ से २८/२०१२ तक ) पर विशेष लेख-सादर प्रकाशनार्थ -डा.अनेकान्तजैन

दसलक्षण महापर्व(१९ /९/२०१२ से २८/२०१२ तक ) पर विशेष लेख-सादर प्रकाशनार्थ  आत्म संयम का पर्व है दसलक्षण महापर्व-डा.अनेकान्तजैन प्राय: प्रत्येक पर्व का संबंध किसी न किसी घटना, किसी की जयंती या मुक्ति दिवस से होता है। दशलक्षणमहापर्व का संबंध इनमें से किसी से भी नहीं है क्योंकि यह स्वयं की आत्मा की आराधना का पर्व है। जैन परम्परा में इन दिनों श्रावक श्राविकायें मुनि आर्यिकायें पूरा प्रयास करते हैं कि अपनी आत्मानुभूति को पा जायें; उसी में डूबें तथा उसी में रम जायें। उत्तम क्षमा, मार्दव, अर्जव, सत्य, शौच, संयम, तप, त्याग, आकिंचन्य और ब्रह्मïचर्य या शुद्धात्मा का स्वभाव है किन्तु हम अपने निज स्वभाव को भूलकर परभाव अर्थात् विभाव में डूबे रहते हैं। जैन धर्म में सारे सांसारिक प्रंपचों की अपेक्षा सम्यग्दर्शन (श्रद्धा), सम्यग्ज्ञान, सम्यक्  चारित्र को ही श्रेष्ठ तथा सुखी होने का रास्ता माना गया है। यह माना गया है कि सच्चा सुख प्राप्त करने के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ-साथ सही ज्ञान तथा जीवन में सही चरित्र भी होना चाहिए। कोरी श्रद्धा, कोरा ज्ञान और कोरा चरित्र कभी भी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं करवा सकता।

NAYAVAD: AN APPROACH OF RECONCILIATION

NAYAVAD: AN APPROACH OF RECONCILIATION -DR ANEKANT KUMAR JAIN* We may either support/or refute/ a particular principle/or we may offer creative criticism evaluating the merits and demerits of that principle in an objective way. An approach of Reconciliation   It is true that the Jains also adopted a negative approach to the non-jain systems in the middle ages but side by side, they adopted the objective attitude also through nayavad, This was based on the assumption that if we experience identity and difference both none of the two can be held as false .As regards the contradiction between the two we can resolve the contradiction by accepting relative truth of both of them-            Parsamyanam vayanam miccham khalu hoi savvaha vayna.                             Jenanam puna vayanam sammam khu kahamcivayanado 14 .. The matter of the fact is that even though the reality is multidimensional but we can express only one of them at one time. We select only that dim

ग्वालियर की शान गोपाचलपर्वत

ग्वालियर की शान गोपाचलपर्वत डा . अनेकान्त कुमार जैन राजघराने , धर्म इतिहास , पुरातत्व , कला , संस्कृति एवं साहित्य के लिए ग्वालियर शुरू से ही विख्यात है। जैन धर्मावलम्बियों के लिए यह स्थल अत्यंत पूजनीय इसलिए भी है क्योंकि जैन धर्म के तेईसवें तीर्थकर भगवान पा ‌ र्श्वनाथ कई बार विहार करते हुए यहां पधारे थे और अपनी दिव्य ध्वनि से उन्होंने यहां उपदेश भी दिया था। इस बात का प्रमाण साहित्य में तो मिलता ही है , साथ ही ग्वालियर की शान गोपाचलपर्वत पर उत्कीर्ण लगभग सात सौ वर्ष प्राचीन बयालीस फुट ऊंची तथा तीस फुट चौडी पद्मासन मुद्रा में तीर्थकरभगवान पा ‌ र्श्वनाथ की प्रतिमा मानो वर्तमान में भी भगवान के समवशरण और दिव्य देशना का आनन्द दे रही प्रतीत होती है। तीर्थकर   पा ‌ र्श्वनाथ   का देशना स्थल गोपाचल के गौरवपूर्ण इतिहास में यह भी अंकित है कि अंतिम श्रुतकेवली आचार्य भद्रबाहु गिरनार जाते समय इस स्थान पर