जैन संस्कृत विद्यालयों को कौन बचाएगा ? डॉ अनेकान्त कुमार जैन, नई दिल्ली प्राप्त जानकारी के अनुसार अकेले उत्तर प्रदेश में ही जैन समाज द्वारा संचालित 20 संस्कृत विद्यालय थे । अन्य प्रदेशों की गणना करेंगे तो जाने कितने मिलेंगे । उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा बोर्ड की जानकारी में भी मात्र कुछ ही बचे हैं जिन्हें समय रहते यदि नहीं संभाला गया तो वे भी नष्ट हो जाएंगे । वर्तमान में यदि वहां की उदासीन समाज जागृत होकर उन विद्यालयों का पंजीकरण अल्पसंख्यक के रूप में करवा लें तो वहां के सरकार द्वारा स्वीकृत पदों को भरवाया जा सकता है जिसमें प्राकृत संस्कृत के जानकार और जैन आगम निष्ठ शास्त्री विद्वान सरकारी आजीविका प्राप्त कर सकते हैं । जो विद्यालय सरकारी अनुदान के कारण यदि चल भी रहे हैं तो उनमें पढ़ने वाले विद्यार्थी और अध्यापक जैन समाज से नहीं है अतः समाज से संपर्क न होनेम् समाज उन्हें चलाने में रुचि नहीं ले रहा है । इन विद्यालयों के माध्यम से जैन समाज एक छोटा सा निःशुल्क गुरुकुल संचालित कर सकती है जिसमें संस्कारवान , शिक्षित , जिनवाणी के प्रति समर्पित नई पीढ़ी खड़ी की जा सकती ह...