अपना मन न कमजोर करें
©कुमार अनेकांत
वक्त चाहे कितना बोर करे
वो चाहे कितना इग्नोर करे
लोग चाहें कितना शोर करें
अपना मन न कमजोर करें
यहां जीत यदि न भी पाओ
लोगों से यदि पिछड़ जाओ
जग की छद्म आपाधापी में
अपना मन न कमजोर करें
जग जीते और खुद से हारे
फिर क्या बचा बोलो प्यारे
अपनी दुनिया में जिया करें
अपना मन न कमजोर करें
जो चाहो वो पूरा हो न सके
समझें विधि नियत विधान
यह होनहार स्वीकार करें
अपना मन न कमजोर करें
क्या हुआ कोई बिछड़ गया
जो मिलना वो नहीं मिला
असली निधि खुद में खोजें
अपना मन न कमजोर करें
जीत वही मनोबल न खोए
आत्मानुभूति लक्ष्य संजोए
जग प्रपंच को अब बस करें
अपना मन न कमजोर करें
27/7/24
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