प्राकृत पत्रकारिता : एक अनुभव
जिस प्रकार *उदंत मार्तण्ड* हिंदी का प्रथम समाचार पत्र माना जाता है जो कि जुगलकिशोर सुकुल ने 30 मई 1826 को कलकत्ता से पहली बार प्रकाशित किया था ।
संस्कृत भाषा का प्रथम अखबार *सुधर्मा* श्री के.वी.संपत कुमार ने 14 जुलाई 1970 को मैसूर से प्रारम्भ किया था ।
उसी प्रकार प्राकृत भाषा में प्रकाशित होने वाला
*पागद भासा* नामक अखबार अब तक का प्रथम प्रयास है । यह भारत सरकार के समाचारपत्र पंजीयन कार्यालय में प्राकृत भाषा के प्रथम समाचार पत्र के रूप में पंजीकृत हुआ है । आरम्भ में भारत सरकार के समाचारपत्र पंजीयन कार्यालय ने इसे DELPRA00001जैसा Title code जारी किया ,क्यों कि उनके रिकॉर्ड के अनुसार इस भाषा में आज तक कोई भी समाचार पत्र प्रकाशित नहीं हुआ था ।
मीडिया के क्षेत्र में भारत की प्राचीन भाषा प्राकृत का प्रयोग ,उसमें समाचार लेखन अब तक की सबसे पहली घटना है । यही कारण है कि विद्वानों के बीच प्राकृत के विभिन्न भेदों के क्रम में अब मीडिया प्राकृत की भी चर्चा होने लगी है ।
इस पत्रिका का पहला प्रवेश अंक 13 अप्रैल 2014 में महावीर जयंती के दिन कुन्दकुन्द भारती ,नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में पूज्य आचार्य श्री विद्यानंद जी मुनिराज एवं आचार्य वर्धमान सागर जी महाराज के कर कमलों से विमोचित हुआ था । उसके अनन्तर आचार्य विद्यासागर महाराज, आर्यिका ज्ञानमति माता जी ,निर्यापकाचार्य श्री सुधासागर जी महाराज , आचार्य श्रुतसागर जी महाराज,आचार्य प्रज्ञासागर जी महाराज ,मुनि श्री प्रणम्य सागर जी महाराज आदि अनेक आचार्यों साधु संतों ने इस कार्य हेतु आशीर्वाद दिया । पूज्य भट्टारक स्वामी जी ,श्रवणबेलगोला ने इसके महामस्तकाभिषेक विशेषांक का भव्य विमोचन समारोह भी आयोजित किया था ।
यह छह माह में प्रकाशित होने वाला समाचार पत्र जिन फाउंडेशन ,नई दिल्ली से श्रीमती रुचि जैन द्वारा प्रकाशित किया जाता है । यह एक अव्यावसायिक प्रयास है तथा सभी के आपसी सहयोग से प्रकाशित किया जाता है और निःशुल्क वितरित किया जाता है ।
इसका डिजिटल एडिशन भी हज़ारों की संख्या में देश विदेश में पढ़ा जाता है ।
कुछ ही वर्षों में इसकी लोकप्रियता यह बताती है कि आज भी अपनी प्राचीन भाषा और संस्कृति के प्रति लोगों में रुझान है । विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षाओं में *प्राकृत भाषा में प्रकाशित होने वाला सर्व प्रथम समाचार पत्र कौन सा है ?* ' इस तरह के प्रश्न भी आने से इस अद्वितीय एवं प्राकृत भाषा के प्रथम समाचार पत्र की महत्ता का पता स्वयं चल जाता है । सुप्रसिद्ध वेबसाइट quara.com पर जब प्रश्न पूछा गया कि प्राकृत भाषा का पहला अखबार कौन सा प्रकाशित होता है तो उसमें 'पागद-भासा' ही उत्तर आया था ।
आरम्भ से लेकर इसके प्रकाशन में मुख्य रूप से स्वयं ही इसका आर्थिक वहन किया जा रहा है किंतु बीच बीच में कई उदार मना लोगों ने स्वयं ही इसमें अपनी शुभकामनाएं प्रकाशित कर इसे अपनी ओर से प्रकाशित करवाया है ।
इसके प्रकाशन में सबसे बड़ी चुनौती इसकी टाइपिंग को लेकर आती है ,अच्छे टाइपिस्ट नहीं मिलते जो प्राकृत में सहजता से टाइपिंग कर दें । कुछ लेखक और रचनाकार अपना अकादमिक सहयोग अवश्य देते हैं जिससे इस पत्रिका की गरिमा बढ़ती है । समाचार लेखन में अंग्रेजी के सुप्रसिध्द और स्थापित शब्दों को प्राकृत में परिवर्तित करके लिखने की कोशिश की जाती है और प्राकृत की सुप्रसिद्ध व्यंजन लोप की प्रवृत्ति को वहाँ प्रयोग नहीं किया जाता जहाँ उसका अर्थ लगाने में समस्या आये अतः कितने ही स्थानों पर संज्ञा आदि को यथावत भी रखा जाता है । व्याकरण को शुद्ध रखने का प्रयास होता है और कहीं कहीं नए प्रयोग भी करने पड़ते हैं ।
इस पत्रिका में प्रयोगों की बहुलता है । काव्य रचना भाव प्रवणता के लिए में कभी कभी छंद उन्मुक्तता को भी जगह दी जाती है । पाठकों के अनुरोध पर पद्य भाग का लेखक कृत हिंदी अनुवाद भी देना आरम्भ किया गया है ।
लॉक डाउन के दौरान भी इसके प्रकाशन को रोका नहीं गया और डिजिटल माध्यम से सर्वत्र इसका प्रचार प्रसार किया गया ।
यद्यपि इसके पाठक ज्यादा नहीं हैं किंतु जितने भी हैं वे प्रबुद्ध हैं अतः प्राकृत भाषा संरक्षण ,संवर्धन और प्रचार प्रसार के पावन उद्देश्य से कम सही पर यह निरंतर चलती रहे - सभी से ऐसा ही आशीर्वाद चाहते हैं ।
प्रो डॉ अनेकान्त कुमार जैन ,संपादक - पागद भासा,नई दिल्ली
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