क्षमावाणी पर्व
क्षमापव्वं जीवखमयंति सव्वे खमादियसे च याचइ सव्वेहिं ।
‘मिच्छा मे दुक्कडं ' च बोल्लइ वेरं मज्झं ण केण वि ।।
क्षमा दिवस पर जीव सभी जीवों को क्षमा करते हैं सबसे क्षमा याचना करते हैं और कहते हैं मेरे दुष्कृत्य मिथ्या हों तथा मेरा किसी से भी बैर नहीं है
उत्तम क्षमा
खो गया था स्नेह में
भूल बैठा मान मर्यादा
मन वचन और काय में
न जाने कितने अपराध
हो गए अनजान में
कुछ तो याद आ रहे हैं
प्रायः नहीं हैं भान में
कोशिश थोड़ी कर रहा हूँ
रहूं उत्तम क्षमा में
उन सभी भूलों के लिए
मांगता हूं क्षमा मैं
प्रो.अनेकान्त कुमार जैन
10/9/22
टिप्पणियाँ