जैन सल्लेखना(संथारा)
कुछ प्रश्न
क्या ईश्वर को अदालत में सिद्ध किया जा सकता है ?
क्या आत्मा को कानून द्वारा असिद्ध घोषित किया जा सकता है ?
क्या आत्मा की अनुभूति को सबूतों ,शब्दों ,और गवाहों के अभाव में गैर संवैधानिक करार दिया जा सकता है ?
क्या देश की रक्षा के लिए सीमा पर लड़ते हुए मरने वाले को आत्महत्या कहा जाता है ?
यदि इन सभी का उत्तर नहीं है तो
सल्लेखना की साधना को भी अपराध नहीं कहा जा सकता |
सभी आदरणीय न्यायाधीशों , वकीलों ,पत्रकारों एवं नागरिकों से मेरा विनम्र निवेदन है कि सल्लेखना /संथारा /समाधि का स्वरुप समझने की कोशिश करें |मेरा यह लेख एक छोटा सा प्रयास है इसे गंभीरता से अवश्य पढ़ें और विचार करें क्या सभी चीजों को एक ही तराजू पर तोला जा सकता है ?
इस लेख में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सल्लेखना इच्छा मृत्यु नहीं है ।
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