सेवा में 24/1/2015
मुख्य चुनाव आयुक्त
चुनाव आयोग
दिल्ली
विषय -चुनाव को जंग न कहा जाय
महोदय ,
आप लोकतंत्र के सजग प्रहरी हैं |मैं आज आपका ध्यान एक ऐसे विषय की तरफ दिलाना चाहता हूँ जिस पर प्रायः विचार नहीं किया जाता है |आपसे निवेदन है कि स्वस्थ्य चुनाव के लिए आप जो जो भी नए प्रयोग करते हैं उसमें एक प्रयोग 'उचित एवं अहिंसक शब्द प्रयोग 'का भी प्रारंभ करें |मेरी सलाह है कि आयोग को शब्द्प्रयोगों को लेकर पत्रकारिता के लिए भी आचार संहिता लगा देना चाहिए |
उदाहरण के लिए चुनाव के साथ "लड़ना" जैसे शब्दों का प्रयोग ही उसे युद्ध जैसा विकृत कर देता है ;चुनाव में "भाग लेना" शब्द का प्रयोग ज्यादा स्वस्थ्य लोकतान्त्रिक मानसिकता है ।और भी अनेक उदाहरण हैं जैसे 'हमला बोला'......'परास्त किया' ....'सिंहासन की लड़ाई'....'चुनावी जंग'......'पलटवार'....'भितरघात'.....आदि शब्दों का प्रयोग ऐसा वातावरण बना देता है मानो चुनाव नहीं कोई युद्ध हो रहा हो |
स्वस्थ्य लोकतंत्र में उम्मीदवार चुनाव में भाग लेते हैं ....लड़ते नहीं हैं |हम उम्मीदवार चुनते हैं किसी को जिताते या हराते नहीं हैं |कुछ निश्चित लोग जो लोगों को ज्यादा उचित लगते हैं वे राष्ट्र सेवा के लिए चुन लिए जाते हैं |और जो नहीं चुने गए वे अन्य विधाओं से राष्ट्र सेवा करें...ऐसा जनता का मंतव्य रहता है |
आशा है आप इस विषय पर गंभीरता से विचार करेंगे |
धन्यवाद
डॉ अनेकांत कुमार जैन
anekant76@gmail.com
मुख्य चुनाव आयुक्त
चुनाव आयोग
दिल्ली
विषय -चुनाव को जंग न कहा जाय
महोदय ,
आप लोकतंत्र के सजग प्रहरी हैं |मैं आज आपका ध्यान एक ऐसे विषय की तरफ दिलाना चाहता हूँ जिस पर प्रायः विचार नहीं किया जाता है |आपसे निवेदन है कि स्वस्थ्य चुनाव के लिए आप जो जो भी नए प्रयोग करते हैं उसमें एक प्रयोग 'उचित एवं अहिंसक शब्द प्रयोग 'का भी प्रारंभ करें |मेरी सलाह है कि आयोग को शब्द्प्रयोगों को लेकर पत्रकारिता के लिए भी आचार संहिता लगा देना चाहिए |
उदाहरण के लिए चुनाव के साथ "लड़ना" जैसे शब्दों का प्रयोग ही उसे युद्ध जैसा विकृत कर देता है ;चुनाव में "भाग लेना" शब्द का प्रयोग ज्यादा स्वस्थ्य लोकतान्त्रिक मानसिकता है ।और भी अनेक उदाहरण हैं जैसे 'हमला बोला'......'परास्त किया' ....'सिंहासन की लड़ाई'....'चुनावी जंग'......'पलटवार'....'भितरघात'.....आदि शब्दों का प्रयोग ऐसा वातावरण बना देता है मानो चुनाव नहीं कोई युद्ध हो रहा हो |
स्वस्थ्य लोकतंत्र में उम्मीदवार चुनाव में भाग लेते हैं ....लड़ते नहीं हैं |हम उम्मीदवार चुनते हैं किसी को जिताते या हराते नहीं हैं |कुछ निश्चित लोग जो लोगों को ज्यादा उचित लगते हैं वे राष्ट्र सेवा के लिए चुन लिए जाते हैं |और जो नहीं चुने गए वे अन्य विधाओं से राष्ट्र सेवा करें...ऐसा जनता का मंतव्य रहता है |
आशा है आप इस विषय पर गंभीरता से विचार करेंगे |
धन्यवाद
डॉ अनेकांत कुमार जैन
anekant76@gmail.com
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