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धर्म /संप्रदाय की समीक्षा

दूसरे के धर्म /संप्रदाय की समीक्षा करते वक्त हम जितने यथार्थवादी हो जाते हैं उतने यथार्थवादी यदि अपने धर्म/संप्रदाय  की समीक्षा में हो जाएँ तो शायद हम सत्य को जान पायें | -कुमार अनेकान्त

‘अहिंसा दर्शन’ यानि पारंपरिक ऊर्जा के साथ आधुनिक हस्तक्षेप

सादर प्रकाशनार्थ -पुस्तक परिचय (चित्र संलग्न )       ‘अहिंसा दर्शन’ यानि पारंपरिक ऊर्जा के साथ आधुनिक हस्तक्षेप                              अनुराग बैसाखिया@             डॉ.अनेकांत कुमार जैन की नयी कृति ‘अहिंसा दर्शन :एक अनुचिंतन’ विश्व शान्ति और अहिंसा पर लिखी गयी तमाम पुस्तकों में से अलग इस दृष्टि से है क्यूँ कि यह उन  सभी पुस्तकों के निष्कर्षों तथा लेखक के मौलिक चिंतन और अनुसंधान का ऐसा मेल है जो हमें उन अनुभूतियों में ले जाता है जो प्राचीन तथा अर्वाचीन आचार्यों द्वारा प्रसूत हुईं हैं | यह किताब सहजता के साथ हमें आज की मौजूदा समस्यायों और परिस्थितियों में अहिंसक होने की प्रेरणा देकर तार्किक तथा प्रायोगिक रूप से उसका समाधान बताने की एक सार्थक पहल भी करती है |पुस्तक में लेखक ने किसी किस्म के दुराग्रह से मुक्त होने की पूरी कोशिश की है किन्तु वे सत्याग्रह पर अडिग दिखाई देते हैं ....अहिंसा का सत्याग्रह |     यद्यपि लेखक संस्कृत/प्राकृत के श्लोक/गाथा आदि के उद्धरण के कारण प्राचीन अवधारणाओ से पूर्णतः जुड़े दिखाई देते हैं और अहिंसा जैसे शाश्वत मूल्यों की प्रतिष्ठा वे सभी धर्मो

‘ओ माई गाड’

आज अभी colors TV पर ‘ओ माई गाड’ फिल्म देखी|मेरा बस चलता तो मैं यह फिल्म दुनिया के सभी धर्माचार्यों को दिखाता|भगवान पर बनी अब तक की सभी फिल्मों में अलग |यह एक संयोग ही लगा कि इसमें भगवान के नाम पर चल रहे पाखंडों की धज्जियाँ उड़ाने वाले किरदार का नाम कांजी भाई(गुजराती ) था जिसे अभिनय में कुशल ‘परेश रावल’ ने बखूबी निभाया | कांजी भाई नाम के ही एक सदाचारी स्वाध्यायी व्यक्ति ने सोनगढ़ (गुजरात) से धार्मिक पाखंडों के खिलाफ एक महान क्रांति की थी | बाद उनके भक्त भी उन्हें ही भगवान मानने लग गए जैसा कि फ़िल्म में भी दर्शाया गया है |  3/2/2013

मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों में गणतंत्र दिवस

जिस दिन भारत के मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों में गणतंत्र दिवस मनाया जाने लगेगा और तिरंगा लहराना अनिवार्य कर दिया जायेगा उस दिन से भारत की तरफ कोई भी दुश्मन आँख तक नहीं उठाएगा |-अनेकान्त

ना भूलें भारत का प्राचीन गणतंत्र ‘वैशाली’

ना भूलें भारत का प्राचीन गणतंत्र ‘वैशाली’ डॉ अनेकान्त कुमार जैन भारत का गणतंत्र पूरे विश्व में प्रसिद्ध है | पूरे विश्व को जनतंत्र का उपदेश देने वाला वैशाली गणराज्य भारत में ही    स्थित था | आज विश्व के अधिकांश   देश गणराज्य हैं , और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी । भारत स्वयं एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है । ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र कायम किया गया था। आज वैशाली बिहार प्रान्त के वैशाली जिला में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है| इसके अध्यक्ष लिच्छवी संघ नायक महाराजा चेटक थे|इन्हीं महाराजा चेटक की ज्येष्ठ पुत्री का नाम ‘प्रियकारिणी त्रिशला’था जिनका विवाह वैशाली गणतंत्र के सदस्य एवं ‘क्षत्रिय कुण्डग्राम’ के अधिपति महाराजा सिद्धार्थ के साथ हुआ था और इन्हीं के यहाँ 599 ईसापूर्व बालक वर्धमान का जन्म हुआ जिसने अनेकान्त सिद्धांत के माध्यम से पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी और तीर्थंकर महावीर के रूप में विख्यात हुए | भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मानने वालों के लिये वैशाली एक पवित्र स्थल है। वज्जिकुल में जन्मे भगवान महा

क्या भगवान रागी और द्वेषी हैं?

क्या भगवान रागी और द्वेषी हैं ? नवभारत टाइम्स | Dec 7, 2008, 11.59PM IST अनेकांत कुमार जैन अक्सर भगवान के भक्तों को यह कहते हुए सुना जाता है कि ऐसा मत करो , नहीं तो भगवान नाराज हो जाएंगे , या फिर ऐसा करो , इससे भगवान खुश होंगे। ऐसा प्रतीत होता है कि हम में से ज्यादातर लोग भगवान को भी अपने ही जैसा समझते हैं। वैसा ही साधारण मनुष्य , जो खुशामद करने पर खुश हो जाता है और अपनी आज्ञा न मानने वालों पर नाराज हो जाता है। प्रश्न है कि क्या भगवान भी तमाम साधारण इंसानों की तरह रागी और द्वेषी है ? दर्शन जगत में ईश्वर को लेकर भले ही अलग-अलग अवधारणाएं हों , किंतु संपूर्ण समाज में आम स्तर पर ईश्वर के विषय में चिंतन कुछ इसी तरह का है। ऐसी अनेक कहानियां सुनाई जाती हैं , जिसका संदेश होता है कि पूजा करने वाले व्यक्ति पर भगवान ने कृपा कर दी ऐसा न करने वाले को भगवान ने दंड दिया और बर्बाद कर दिया। व्यावहारिक जीवन पर थोड़ी दृष्टि डालें तो ऐसा ही सिद्धांत राजाओं , मंत्रियों , सांसदों , अफसरों , कुलपतियों , पुलिस और उच्च पदों पर बैठे सभी ल