प्रिय संजीव सब कुछ क्रम नियमित है आयु निश्चित है राजा राणा क्षत्रपति हाथन के असवार मरना सबको एक दिन अपनी अपनी बार आदि आदि ये सब मुझे पता है ,इन्हें मैं भी सबसे बड़ा सत्य मानता हूँ । फिर भी.....कुछ चीजें मुझे स्वीकार नहीं हो रहीं हैं जैसे तुम्हारा इस तरह जाना । तुम्हारी शोक सभाएं सुन रहा हूँ , मुझे ये भी स्वीकार नहीं हो रहीं हैं । कई बार सोचा कि तुम्हारी याद में मैं भी कुछ कहूँ ,वीडियो बनाऊं ...पर ये हो न सका । तुम्हारा जाना मुझे मंजूर ही नहीं है । इसीलिए तुम्हारी किसी भी शोकसभा में उपस्थित न हो सका ,कुछ कह न सका । लोग तुम्हारी और टोडरमल जी की आयु एक जैसी बताकर तुलना कर रहे हैं ,मुझे ये भी स्वीकार नहीं है । टोडरमल जी मरे नहीं थे ,उन्हें मरवाया गया था । तुम्हारे यू ट्यूब पर हजारों प्रवचन , ऑनलाइन कक्षाएं , तुम्हारा देश दुनिया में अथक लगातार प्रचार ,अब मेरे लिए कोई मायने नहीं रखते ,क्यों कि तुम नहीं हो । तुम इतना ज्यादा ऑनलाइन क्यों रहे कि अब ऑफलाइन भी नहीं हो ? क्या...