"अंतर्राष्ट्रीय जुगाड़ दिवस भी मनाया जाय" "अंतर्राष्ट्रीय जुगाड़ दिवस भी मनाया जाय" क्यों कि योग का एक देसी अर्थ "जुगाड़" भी है | दर्शन - "जुगाड़",आसन - इसका एक ही सिद्ध आसन है - " चाटुकारासन " | ये सब नहीं कर सकते | कौन कर सकता है ?-इसके साधक योगियों में धैर्य,समता,चेहरे पर कृत्रिम मुस्कान,अविद्यमान गुणों की भी प्रशंसा करना,रात को दिन कहने की कला ,चरण स्पर्श आदि में महारथ,मौसम को भांपने की क्षमता और उसी के अनुकूल खुद का भी रंग बदलने का हुनर,किसी एक सिद्धांत पर अडिग न रहने का साहस,खुद की हर क्रिया को सही और तर्क सम्मत सिद्ध करने का पांडित्य आदि आदि विशेष गुण होते हैं |इनके अभाव में इसकी साधना नहीं की जा सकती |इसके लिए रीड़ की हड्डी में विशेष लचीलापन चाहिए | मंत्र- व्यर्थ की प्रशंसा इसका मूल मंत्र है| काव्य कला हो तो अधिक असरकारी हो जाता है| इसके लाभ - १.व्यक्ति सत्ता परिवर्तन जैसे तनावों से मुक्त रहता है | २.सरकार चाहे जिसकी हो उसका कभी ट्रान्सफर आदि नहीं होता |वह अपदस्थ नहीं होता |सहज ही बड़े बड़े पद और सुविधाए...