भगवान महावीर ने दिए व्यक्तित्व विकास के मूलसूत्र डा. अनेकान्त कुमार जैन जैन धर्म में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव से लेकर चौबीसवें व अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर तक एक सुदीर्घ परंपरा रही है | भगवान महावीर का जन्म , ईसा से ५९९ वर्ष पूर्व , चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को , वैशाली गणतंत्र के , लिच्छिवी वंश के महाराज , श्री सिद्धार्थ और माता त्रिशला देवी के यहाँ हुआ था । वे स्वयं एक महान व्यक्तित्व के धनी थे | वे इतने आकर्षक तथा प्रभावशाली थे कि जो भी उन्हें देखता उनका हो जाता था | वे सिर्फ देखने में ही सुन्दर नहीं थे बल्कि उनका आध्यात्मिक व्यक्तित्व भी इतना निर्मल था कि उनके पास जाने मात्र से लोग अपनी सारी समस्याओं का समाधान पा जाते थे | उन्होंने सफल व्यक्तित्व के कई सूत्र दिए | व्यक्तित्व व्यक्ति की मात्र अभिव्यक्ति नहीं है ,एक समग्र प्रक्रिया है | मनुष्य-चरित्र को परखना भी बड़ा कठिन कार्य है , किन्तु असम्भव नहीं है। कठिन वह केवल इसलिए नहीं है कि उसमें विविध तत्त्वों का मिश्रण है बल्कि इसलिए भी है कि नित्य नई परिस्थितियों के आघात-प्र