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अहिंसा के प्रायोगिक रूप और इस्लाम

  इस्लाम में  अहिंसा के प्रायोगिक रूप प्रो अनेकांत कुमार जैन ,नई दिल्ली  मुस्लिम समाज में मांसाहार आम बात है।   किन्तु ऐसे अनेक उदाहरण भी देखने में आये हैं जहाँ इस्लाम के द्वारा ही इसका निषेध किया गया है। इसका सर्वोत्कृष्ट आदर्शयुक्त उदाहरण हज की यात्रा है। मैंने अपने कई मुस्लिम मित्रों से इसका वर्णन साक्षात् सुना है तथा कई स्थानों पर पढ़ा है कि जब कोई व्यक्ति हज करने जाता है तो   इहराम ( सिर पर बाँधने का सपे â द कपड़ा )   बाँध कर जाता है। इहराम की स्थिति में वह न तो पशु - पक्षी को मार सकता है न किसी जीवधारी पर ढेला फेक सकता है और न घास नोंच सकता है। यहाँ तक कि वह किसी हरे - भरे वृक्ष की टहनी पत्ती तक भी नहीं तोड़ सकता। इस प्रकार हज करते समय अहिंसा के पूर्ण पालन का स्पष्टविधान है।   ‘ इहराम की हालत में शिकार करना मना है ’ । इतना ही नहीं , इस्लाम के पवित्र तीर्थ मक्का स्थित कस्बे के चारों ओर कई मीलों के घेरे में किसी भी पशुपक्षी की हत्या करने का निषेध है।   हज - काल में हज करने वालों को मद्य - मांस का भी सर्वथा त्याग जरूरी है। इस्लाम में आध्यात्मिक साधना में मांसाहार पूरी तरह वर

कुरआन में अहिंसा सम्बन्धी आयतें

  कुरआन में अहिंसा सम्बन्धी आयतें  प्रो अनेकांत कुमार जैन   मुझे कुरान देखने एवं पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। मक्तबा अल - हसनात , रामपुर ( उ . प्र .) से सन् १९६८ में हिन्दी अनुवाद के साथ प्रकाशित कुरआन मजीद , जिनके मूल संदर्भों का प्रयोग मैंने किया है , को ही मैंने पढ़ा है। इसी ग्रन्थ से मैंने कुछ आयतें चयनित की हैं जो अहिंसा की भावना को व्यक्त करती हैं। प्रस्तुत हैं वे चयनित आयतें - १ . अल्लाह ने काबा को शान्ति का स्थान बनाया है। ( २८ : ५७ ) २ . नाहक खून न बहाओ और लोगों को घर से बेघर मत करो। ( २ : ८४ ) ३ . दूसरे के उपास्यों को बुरा न कहो। ( ६ : १०८ ) ४ . निर्धनता के भय से औलाद का कत्ल न करो। ( १७ : ३१ ) ५ . नाहक किसी को कत्ल न करो। मानव के प्राण लेना हराम है। ( १७ : ३३ ) ६ . यतीम पर क्रोध न करो। ( ९३ : ९ ) ७ . गुस्सा पी जाया करो और लोगो को क्षमा कर दिया करो। ( २ : १३४ ) ,( २४ : २२ ) ८ . बुराई का तोड़ भलाई से करो। ( १३ : २२ ) , ( २८ : ५४ , ५५ ) , ( ४१ : ३५ ) ९ . कृतज्ञता दिखलाते रहो। ( १४ : ७ ) १० . सब्र करना और अपराध को क्षमा करना बड़े साहस के काम हैं। ( ४२ : ४

हजरत मुहम्मद साहब और अहिंसा

  हजरत मुहम्मद साहब और अहिंसा                                                                                                        प्रो अनेकांत कुमार जैन ,नई दिल्ली  इस्लाम अरबी भाषा का शब्द है।   मुहम्मद अली की पुस्तक 'Religion of Islam'  में इस शब्द की व्याख्या बताई गई है।   इस्लाम शब्द का अर्थ है - ‘ शान्ति में प्रवेश करना ’ ।   अतः मुस्लिम व्यक्ति वह है , जो ‘ परमात्मा पर विश्वास और मनुष्यमात्र के साथ पूर्ण शांति का संबन्ध ’ रखता हो। इस्लाम शब्द का लाक्षणिक अर्थ होगा - वह धर्म , जिसके द्वारा मनुष्य भगवान की शरण लेता है और मनुष्यों के प्रति अहिंसा एवं प्रेम का व्यवहार करता है। राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘ दिनकर ’ ने अपनी सुप्रसिद्ध पुस्तक ‘ संस्कृति के चार अध्याय ’ में इस्लामधर्म की विशेषताओं पर व्यापक प्रकाश डाला है। हजरत मुहम्मद साहब इस्लाम के प्रवर्तक  माने जाते हैं , जिनका जन्म   अरब देश के मक्का शहर में सन् ५७० ई . में हुआ था और मृत्यु सन् ६३२ ई . में हुई।   इस्लामधर्म के मूल कुरान , सुन्नत और हदीस नामक ग्रन्थ हैं। कुरान वह ग्रन्थ है , जिसमें मुहम्मद साहब के पास खुदा क