इस्लाम में अहिंसा के प्रायोगिक रूप प्रो अनेकांत कुमार जैन ,नई दिल्ली मुस्लिम समाज में मांसाहार आम बात है। किन्तु ऐसे अनेक उदाहरण भी देखने में आये हैं जहाँ इस्लाम के द्वारा ही इसका निषेध किया गया है। इसका सर्वोत्कृष्ट आदर्शयुक्त उदाहरण हज की यात्रा है। मैंने अपने कई मुस्लिम मित्रों से इसका वर्णन साक्षात् सुना है तथा कई स्थानों पर पढ़ा है कि जब कोई व्यक्ति हज करने जाता है तो इहराम ( सिर पर बाँधने का सपे â द कपड़ा ) बाँध कर जाता है। इहराम की स्थिति में वह न तो पशु - पक्षी को मार सकता है न किसी जीवधारी पर ढेला फेक सकता है और न घास नोंच सकता है। यहाँ तक कि वह किसी हरे - भरे वृक्ष की टहनी पत्ती तक भी नहीं तोड़ सकता। इस प्रकार हज करते समय अहिंसा के पूर्ण पालन का स्पष्टविधान है। ‘ इहराम की हालत में शिकार करना मना है ’ । इतना ही नहीं , इस्लाम के पवित्र तीर्थ मक्का स्थित कस्बे के चारों ओर कई मीलों के घेरे में किसी भी पशुपक्षी की हत्या करने का निषेध है। हज - काल में हज करने वालों को मद्य - मांस का भी सर्वथा त्याग जरूरी है। इस्लाम में आध्यात्मिक साधना में मांसाहार पूरी तरह वर