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शुद्धात्मा का अनुष्ठान दशलक्षण पर्व

आत्मानुभूति का साधन है दशलक्षण महापर्व

Prakrit language and literature in the age of Information Tecnology

हे केदारनाथ

मैंने पूछा हे केदारनाथ ! भक्तों का क्यों नहीं दिया साथ ? खुद का धाम बचा कर सबको कर दिया अनाथ | वे बोले मैं सिर्फ मूर्ती या मंदिर में नहीं पृथ्वी के कण कण में बसता हूँ हर पेड़ हर पत्ती हर जीव हर जंतु तुम्हारे हर किन्तु हर परन्तु में    हर साँस में हर हवा में हर दर्द में हर दुआ में में बसा हूँ तुमने प्रकृति को बहुत छेडा पेड़ों को काटा पहाड़ों को तोड़ा मुर्गी के खाए अंडे कमजोरों को मारे डंडे खाया पशु पक्षियों का मांस मेरी हर बार तोड़ी साँस फिर आ गए मेरे दरबार मेरा अपमान करके मेरी मूर्ति का किया सत्कार हे मूर्ति में भगवान को समेटने वालों संभल जाओ अधर्म को धर्म कहने वालों मेरी करते हो हिंसा और फिर पूजा अहिंसा से बढ़ कर नहीं धर्म दूजा मेरे नाम पर अधर्म करोगे तो ऐसा ही होगा दूसरे जीवों को अनाथ करोगे मंजर इससे भीषण होगा | -कुमार अनेकान्त get more poem . open this page and like https://www.facebook.com/DrAnekantKumarJain

डॉ हुकुमचंद भारिल्ल होने के मायने

धर्म /संप्रदाय की समीक्षा

दूसरे के धर्म /संप्रदाय की समीक्षा करते वक्त हम जितने यथार्थवादी हो जाते हैं उतने यथार्थवादी यदि अपने धर्म/संप्रदाय  की समीक्षा में हो जाएँ तो शायद हम सत्य को जान पायें | -कुमार अनेकान्त

‘अहिंसा दर्शन’ यानि पारंपरिक ऊर्जा के साथ आधुनिक हस्तक्षेप

सादर प्रकाशनार्थ -पुस्तक परिचय (चित्र संलग्न )       ‘अहिंसा दर्शन’ यानि पारंपरिक ऊर्जा के साथ आधुनिक हस्तक्षेप                              अनुराग बैसाखिया@             डॉ.अनेकांत कुमार जैन की नयी कृति ‘अहिंसा दर्शन :एक अनुचिंतन’ विश्व शान्ति और अहिंसा पर लिखी गयी तमाम पुस्तकों में से अलग इस दृष्टि से है क्यूँ कि यह उन  सभी पुस्तकों के निष्कर्षों तथा लेखक के मौलिक चिंतन और अनुसंधान का ऐसा मेल है जो हमें उन अनुभूतियों में ले जाता है जो प्राचीन तथा अर्वाचीन आचार्यों द्वारा प्रसूत हुईं हैं | यह किताब सहजता के साथ हमें आज की मौजूदा समस्यायों और परिस्थितियों में अहिंसक होने की प्रेरणा देकर तार्किक तथा प्रायोगिक रूप से उसका समाधान बताने की एक सार्थक पहल भी करती है |पुस्तक में लेखक ने किसी किस्म के दुराग्रह से मुक्त होने की पूरी कोशिश की है किन्तु वे सत्याग्रह पर अडिग दिखाई देते हैं ....अहिंसा का सत्याग्रह |     यद्यपि लेखक संस्कृत/प्राकृत के श्लोक/गाथा आदि के उद्धरण के कारण प्राचीन अवधारणाओ से पूर्णतः जुड़े दिखाई देते हैं और अहिंसा जैसे शाश्वत मूल्यों की प्रतिष्ठा वे सभी धर्मो

‘ओ माई गाड’

आज अभी colors TV पर ‘ओ माई गाड’ फिल्म देखी|मेरा बस चलता तो मैं यह फिल्म दुनिया के सभी धर्माचार्यों को दिखाता|भगवान पर बनी अब तक की सभी फिल्मों में अलग |यह एक संयोग ही लगा कि इसमें भगवान के नाम पर चल रहे पाखंडों की धज्जियाँ उड़ाने वाले किरदार का नाम कांजी भाई(गुजराती ) था जिसे अभिनय में कुशल ‘परेश रावल’ ने बखूबी निभाया | कांजी भाई नाम के ही एक सदाचारी स्वाध्यायी व्यक्ति ने सोनगढ़ (गुजरात) से धार्मिक पाखंडों के खिलाफ एक महान क्रांति की थी | बाद उनके भक्त भी उन्हें ही भगवान मानने लग गए जैसा कि फ़िल्म में भी दर्शाया गया है |  3/2/2013

मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों में गणतंत्र दिवस

जिस दिन भारत के मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारों में गणतंत्र दिवस मनाया जाने लगेगा और तिरंगा लहराना अनिवार्य कर दिया जायेगा उस दिन से भारत की तरफ कोई भी दुश्मन आँख तक नहीं उठाएगा |-अनेकान्त

ना भूलें भारत का प्राचीन गणतंत्र ‘वैशाली’

ना भूलें भारत का प्राचीन गणतंत्र ‘वैशाली’ डॉ अनेकान्त कुमार जैन भारत का गणतंत्र पूरे विश्व में प्रसिद्ध है | पूरे विश्व को जनतंत्र का उपदेश देने वाला वैशाली गणराज्य भारत में ही    स्थित था | आज विश्व के अधिकांश   देश गणराज्य हैं , और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी । भारत स्वयं एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है । ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र कायम किया गया था। आज वैशाली बिहार प्रान्त के वैशाली जिला में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है| इसके अध्यक्ष लिच्छवी संघ नायक महाराजा चेटक थे|इन्हीं महाराजा चेटक की ज्येष्ठ पुत्री का नाम ‘प्रियकारिणी त्रिशला’था जिनका विवाह वैशाली गणतंत्र के सदस्य एवं ‘क्षत्रिय कुण्डग्राम’ के अधिपति महाराजा सिद्धार्थ के साथ हुआ था और इन्हीं के यहाँ 599 ईसापूर्व बालक वर्धमान का जन्म हुआ जिसने अनेकान्त सिद्धांत के माध्यम से पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी और तीर्थंकर महावीर के रूप में विख्यात हुए | भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मानने वालों के लिये वैशाली एक पवित्र स्थल है। वज्जिकुल में जन्मे भगवान महा