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Mahanirvaan se Raushan Diya

Mahaveer aur gautam gandhar ka parv

शुद्धात्मा का अनुष्ठान दशलक्षण पर्व

आत्मानुभूति का साधन है दशलक्षण महापर्व

Prakrit language and literature in the age of Information Tecnology

हे केदारनाथ

मैंने पूछा हे केदारनाथ ! भक्तों का क्यों नहीं दिया साथ ? खुद का धाम बचा कर सबको कर दिया अनाथ | वे बोले मैं सिर्फ मूर्ती या मंदिर में नहीं पृथ्वी के कण कण में बसता हूँ हर पेड़ हर पत्ती हर जीव हर जंतु तुम्हारे हर किन्तु हर परन्तु में    हर साँस में हर हवा में हर दर्द में हर दुआ में में बसा हूँ तुमने प्रकृति को बहुत छेडा पेड़ों को काटा पहाड़ों को तोड़ा मुर्गी के खाए अंडे कमजोरों को मारे डंडे खाया पशु पक्षियों का मांस मेरी हर बार तोड़ी साँस फिर आ गए मेरे दरबार मेरा अपमान करके मेरी मूर्ति का किया सत्कार हे मूर्ति में भगवान को समेटने वालों संभल जाओ अधर्म को धर्म कहने वालों मेरी करते हो हिंसा और फिर पूजा अहिंसा से बढ़ कर नहीं धर्म दूजा मेरे नाम पर अधर्म करोगे तो ऐसा ही होगा दूसरे जीवों को अनाथ करोगे मंजर इससे भीषण होगा | -कुमार अनेकान्त get more poem . open this page and like https://www.facebook.com/DrAnekantKumarJain

डॉ हुकुमचंद भारिल्ल होने के मायने

धर्म /संप्रदाय की समीक्षा

दूसरे के धर्म /संप्रदाय की समीक्षा करते वक्त हम जितने यथार्थवादी हो जाते हैं उतने यथार्थवादी यदि अपने धर्म/संप्रदाय  की समीक्षा में हो जाएँ तो शायद हम सत्य को जान पायें | -कुमार अनेकान्त

‘अहिंसा दर्शन’ यानि पारंपरिक ऊर्जा के साथ आधुनिक हस्तक्षेप

सादर प्रकाशनार्थ -पुस्तक परिचय (चित्र संलग्न )       ‘अहिंसा दर्शन’ यानि पारंपरिक ऊर्जा के साथ आधुनिक हस्तक्षेप                              अनुराग बैसाखिया@             डॉ.अनेकांत कुमार जैन की नयी कृति ‘अहिंसा दर्शन :एक अनुचिंतन’ विश्व शान्ति और अहिंसा पर लिखी गयी तमाम पुस्तकों में से अलग इस दृष्टि से है क्यूँ कि यह उन  सभी पुस्तकों के निष्कर्षों तथा लेखक के मौलिक चिंतन और अनुसंधान का ऐसा मेल है जो हमें उन अनुभूतियों में ले जाता है जो प्राचीन तथा अर्वाचीन आचार्यों द्वारा प्रसूत हुईं हैं | यह किताब सहजता के साथ हमें आज की मौजूदा समस्यायों और परिस्थितियों में अहिंसक होने की प्रेरणा देकर तार्किक तथा प्रायोगिक रूप से उसका समाधान बताने की एक सार्थक पहल भी करती है |पुस्तक में लेखक ने किसी किस्म के दुराग्रह से मुक्त होने की पूरी कोशिश की है किन्तु वे सत्याग्रह...

‘ओ माई गाड’

आज अभी colors TV पर ‘ओ माई गाड’ फिल्म देखी|मेरा बस चलता तो मैं यह फिल्म दुनिया के सभी धर्माचार्यों को दिखाता|भगवान पर बनी अब तक की सभी फिल्मों में अलग |यह एक संयोग ही लगा कि इसमें भगवान के नाम पर चल रहे पाखंडों की धज्जियाँ उड़ाने वाले किरदार का नाम कांजी भाई(गुजराती ) था जिसे अभिनय में कुशल ‘परेश रावल’ ने बखूबी निभाया | कांजी भाई नाम के ही एक सदाचारी स्वाध्यायी व्यक्ति ने सोनगढ़ (गुजरात) से धार्मिक पाखंडों के खिलाफ एक महान क्रांति की थी | बाद उनके भक्त भी उन्हें ही भगवान मानने लग गए जैसा कि फ़िल्म में भी दर्शाया गया है |  3/2/2013