क्या आगम ही मात्र प्रमाण है ? -डॉ अनेकान्त कुमार जैन anekant76@gmail.com जैन आचार्य समन्तभद्र ने चतुर्थ शती में एक संस्कृत ग्रन्थ लिखा " आप्तमीमांसा " । यह अद्भुत ग्रंथ किन परिस्थितियों में लिखा गया ? यह हमें अवश्य विचार करना चाहिए । भगवान की परीक्षा करने का साहस आचार्य समन्तभद्र ने क्यों किया ? किसके लिए किया ? यह हम सभी को मिलकर अवश्य विचार करना चाहिए । हम लोग या तो पंथवाद में फँसे हैं या फिर संतवाद में । अनेकांतवाद की शरण में कब जायेंगे पता नहीं ? हमें ईमानदारी पूर्वक बिना किसी आग्रह के सत्य का अनुसन्धान करना चाहिए क्योंकि दुर्भाग्य से यदि हम धर्म की गलत व्याख्या कर बैठे , और वै...