"दसलक्षण पर्व पर तत्त्वार्थसूत्र का स्वाध्याय बंद न होने दें " - डॉ अनेकांत कुमार जैन १.तत्वार्थसूत्र प्रथम शताब्दी में संस्कृत भाषा में आचार्य उमास्वामि द्वारा रचा गया एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमें द्वादशांग का सार दस अध्यायों में बीज/सूत्र रूप में गुम्फित है |दिगंबर और श्वेताम्बर दोनों ही सम्प्रदायों में सर्वमान्य है|सर्वाधिक सिद्धिदायक है | २. दसलक्षणपर्व पर स्वाध्याय सभा में दस दिन तक प्रत्येक दिन इस ग्रन्थ का पूर्ण वाचन और एक अध्याय का क्रम से विवेचन होने की सुदीर्घ शास्त्रीय/आर्ष परंपरा है | इसके वाचन से एक उपवास जैसा फल प्राप्त होता है | ३.यही एक अवसर होता है जब समाज में इस जिनागम का स्वाध्याय होता है और यह ग्रन्थ पुनः जीवन्त हो उठता है किन्तु वर्तमान में देखने में आ रहा है कि धर्मप्रवचन के नाम पर प्रवचन की गद्दी पर बैठ कर मात्र भाषण बाजी करने वाले कई विद्वान् और साधु दसलक्षण पर्व पर किसी न किसी बहाने से सूत्र जी की व्याख्या नहीं करते हैं|क्यूँ कि सूत्र की व्याख्या में ही असली वैदुष्य की परीक्षा होती है| ४.इसके स्वाध्याय में श्रोताओं की कमी का बहाना न बना कर यदि...