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मार्च, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

LORD MAHAVEERA

LORD  MAHAVEERA                                                     Jainism is the oldest religion in India .   The religion preached by Lord Mahaveera is not a new religion; it is the religion of the jinas who had gone before him and popularized the basic principles of the greatness of self. Mahaveera was the twenty fourth, i.e., the last Tirthankar. According to the tradition he attained Nirvan 605 years before the beginning of the Saka Era.By either mode of calculation the date comes to 527 B.C. Since the lord attained emancipation at the age of 72, his birth must have been around 599B.C.This makes Mahaveer a slightly elder contemporary of Buddha who probably lived about 567-487 B.C.                 ...

भगवान महावीर ने दिए व्यक्तित्व विकास के मूलसूत्र- डा. अनेकान्त कुमार जैन

भगवान महावीर ने दिए व्यक्तित्व विकास के मूलसूत्र                                 डा. अनेकान्त कुमार जैन                          जैन धर्म में प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव से लेकर चौबीसवें व अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर तक एक सुदीर्घ परंपरा रही है | भगवान महावीर का जन्म , ईसा से ५९९ वर्ष पूर्व , चैत्र शुक्ला त्रयोदशी को , वैशाली गणतंत्र के , लिच्छिवी वंश के महाराज , श्री सिद्धार्थ और माता त्रिशला देवी के यहाँ हुआ था । वे स्वयं एक महान व्यक्तित्व के धनी थे | वे इतने आकर्षक तथा प्रभावशाली थे कि जो भी उन्हें देखता उनका हो जाता था | वे सिर्फ देखने में ही सुन्दर नहीं थे बल्कि उनका आध्यात्मिक व्यक्तित्व भी इतना निर्मल था कि उनके पास जाने मात्र से लोग अपनी सारी समस्याओं का समाधान पा जाते थे | उन्होंने सफल व्यक्तित्व के कई सूत्र दिए | ...

महावीर की ‘वैशाली’ :विश्व का पहला गणतंत्र

महावीर की ‘वैशाली’ : विश्व का पहला गणतंत्र  प्रो अनेकान्त कुमार जैन भारत का गणतंत्र पूरे विश्व में प्रसिद्ध है | पूरे विश्व को जनतंत्र का उपदेश देने वाला वैशाली गणराज्य भारत में ही स्थित था | आज विश्व के अधिकांश  देश गणराज्य हैं , और इसके साथ-साथ लोकतान्त्रिक भी । भारत स्वयं एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है । ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार वैशाली में ही विश्व का सबसे पहला गणतंत्र कायम किया गया था। आज वैशाली बिहार  प्रदेश   में स्थित एक ऐतिहासिक स्थल है| इसके अध्यक्ष लिच्छवी संघ नायक महाराजा चेटक थे|इन्हीं महाराजा चेटक की ज्येष्ठ पुत्री का नाम ‘प्रियकारिणी त्रिशला’था जिनका विवाह वैशाली गणतंत्र के सदस्य एवं ‘क्षत्रिय कुण्डग्राम’ के अधिपति महाराजा सिद्धार्थ के साथ हुआ था और इन्हीं के यहाँ 599 ईसापूर्व चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन बालक वर्धमान का जन्म हुआ जिसने अनेकान्त सिद्धांत के माध्यम से पूरे विश्व को लोकतंत्र की शिक्षा दी और तीर्थंकर महावीर के रूप में विख्यात हुए | भगवान महावीर की जन्म स्थली होने के कारण जैन धर्म के मानने वालों के लिये वैशाली एक पवित्र स्...