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फ़रवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

विकास or विनाश

हम यदि सुकून से शुद्ध भोजन नहीं कर पा रहे हैं और रात को सुकून से सो नहीं पा रहे हैं तो ऐसा विकास हमारे विनाश का सूचक है।- -कुमार अनेकांत

वो मुझे अक्सर सताता बहुत है

वो मुझे अक्सर  सताता बहुत है   है मुझ पर ज्यादा मेहरबा  हर वक्त  जताता बहुत है   गर मजबूरी में लेना ही पड़ जाये  उससे थोड़ी सी मदद , महफ़िल में बेवफा  बताता बहुत है | -कुमार अनेकांत

सादरप्रकाशनार्थ ' आसमान पर कभी मत थूकना ,खुद के ही ऊपर गिरता है'

सादरप्रकाशनार्थ                                   ' आसमान पर कभी मत थूकना ,खुद के ही ऊपर गिरता है' -कुमार अनेकांत मैं दिल्ली जनता की जनता हूँ मैंने अपना फैसला बता दिया |अब इस जीत से सभी गैर भाजपाई हार कर भी खुश हैं |दिक्कत यही है कि इसे भाजपा के विरोध का जनादेश समझा जा रहा है | वे खुश न हों |मेरा दर्द समझें |मुझे मोदी जी कल भी पसंद थे ...आज भी पसंद हैं |इसी तरह केजरीवाल भी कल भी पसंद थे आज भी पसंद हैं |हम क्या करें ? हम किसी पार्टी के नहीं हैं |पार्टी के आप हैं |आपकी मजबूरी होती है कि मजबूरी में अपनी पार्टी के गलत इंसान को भी सही ठहराना |केजरीवाल बीजेपी से लड़ते तो उन्हें इतनी ही सीटें देते |मोदी आम आदमी पार्टी से लड़ते तो हम उन्हें उसी प्रकार चुनते | हम लोग मानते हैं कि कोई भी पार्टी गलत या सही नहीं होती |हमें व्यक्ति या नेता गलत या सही लगते हैं | आप के साथ समस्या यह है कि आप हमें वेवकूफ समझते हो |आपने केजरीवाल पर आरोप लगाया कि सरकारी कार या बंगला नहीं लेंगे कह कर आते ही एक अदद कार और चार कमरे का...